UP News: उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार ने हाल ही में महिला आयोग का गठन किया है, जिसमें कुछ प्रमुख नामों को शामिल किया गया है। इस आयोग का नेतृत्व बबीता चौहान को सौंपा गया है, जिन्हें अध्यक्ष पद पर नियुक्त किया गया है। वहीं, राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव को उपाध्यक्ष की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है। इसके अलावा, गोरखपुर की चारू चौधरी को भी उपाध्यक्ष बनाया गया है, जिससे आयोग में नए चेहरों को जिम्मेदारी दी गई है।
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बबीता चौहान को मिली अध्यक्षता
बबीता चौहान, जो वर्तमान में आगरा की जिला पंचायत सदस्य और महिला मोर्चा की प्रदेश उपाध्यक्ष हैं, ठाकुर बिरादरी से ताल्लुक रखती हैं। बबीता को पहले भी ब्रज क्षेत्र की महिला मोर्चा की अध्यक्ष के रूप में देखा गया था। योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में महिला आयोग का गठन करते समय, उनकी छाप साफ नजर आती है। यह नियुक्ति समाज के विभिन्न वर्गों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
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अपर्णा यादव बनीं महिला आयोग की उपाध्यक्ष
मुलायम सिंह यादव की बहू अपर्णा यादव को उत्तर प्रदेश महिला आयोग में उपाध्यक्ष पद पर नियुक्त किया गया है। अपर्णा यादव ने 2017 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर लखनऊ कैंट विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें बीजेपी की रीता बहुगुणा जोशी के हाथों हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद से ही वह बीजेपी के करीब आ गईं और पार्टी ने उन्हें अखिलेश यादव के खिलाफ महिलाओं के बीच एक प्रमुख चेहरा बनाया। अब उन्हें महिला आयोग में उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी देकर सरकार ने एक बार फिर उन्हें प्रमुख भूमिका में लाया है।
कांग्रेस की प्रियंका मौर्य को भी मिली जिम्मेदारी
महिला आयोग के इस नए गठन में कांग्रेस की पूर्व मीडिया पैनलिस्ट प्रियंका मौर्य को सदस्य के रूप में शामिल किया गया है। यह नियुक्ति ऐसे समय में आई है जब लोकसभा चुनाव में बीजेपी को झटका लगा था, और उसके बाद से ही आयोग और निगम का गठन तेज कर दिया गया था। हालांकि, योगी आदित्यनाथ की सरकार ने 2022 में ही दूसरी बार सत्ता में वापसी कर ली थी, लेकिन महिला आयोग और पिछड़ा आयोग का गठन अब जाकर किया गया है।
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राजनीतिक संतुलन साधने की कोशिश
उत्तर प्रदेश महिला आयोग के इस गठन में योगी आदित्यनाथ की राजनीतिक संतुलन साधने की कोशिश साफ दिखाई देती है। एक ओर जहां बबीता चौहान को ठाकुर बिरादरी का प्रतिनिधित्व करते हुए अध्यक्ष पद दिया गया है, वहीं दूसरी ओर अपर्णा यादव को यादव समुदाय से जुड़े होने के बावजूद महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपकर एक स्पष्ट संदेश दिया गया है। इस कदम को योगी सरकार की महिलाओं के मुद्दों पर प्रतिबद्धता और आगामी चुनावों में उनके प्रभाव को देखते हुए रणनीतिक निर्णय के रूप में देखा जा रहा है। अब देखना यह होगा कि यह नया आयोग महिलाओं के हितों की सुरक्षा और सशक्तिकरण के लिए कितनी प्रभावी भूमिका निभाता है।
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