UP News: डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने एक बार फिर सपा प्रमुख अखिलेश यादव पर निशाना साधा है। मौर्य ने सपा प्रमुख पर तंज कसते हुए कहा कि अखिलेश यादव जिस तरह राहुल गांधी की जाति पूछने पर बरस पड़े, उससे वह नेता कम और गांधी परिवार के दरबारी ज्यादा नजर आ रहे हैं। यह टिप्पणी मौर्य ने अपने एक्स हैंडल पर बुधवार को पोस्ट की।
लोकसभा में हंगामा
दरअसल, लोकसभा में भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर के राहुल गांधी की जाति को लेकर दिए गए बयान पर अखिलेश यादव ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। इस मुद्दे पर अखिलेश यादव ने लोकसभा में जमकर हंगामा किया और अनुराग ठाकुर के बयान पर नाराजगी जताई। इसके दौरान अखिलेश यादव और अनुराग ठाकुर के बीच तीखी बहस भी हुई।
सपा और भाजपा के बीच तीखे हमले
अखिलेश यादव और केशव प्रसाद मौर्य लगातार एक-दूसरे पर हमलावर रहते हैं। मौर्य ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, “कांग्रेस के मोहरा सपा बहादुर अखिलेश यादव जिस तरह राहुल गांधी की जाति पूछने पर उखड़े हैं, उससे वह नेता कम बल्कि गांधी परिवार के दरबारी ज्यादा लग रहे हैं।” उन्होंने आगे लिखा कि 2017 की तरह 2027 के विधानसभा चुनाव में भी हम जीत हासिल करेंगे।
जातीय जनगणना पर बहस
आपको बता दें कि लोकसभा में आम बजट पर चर्चा के दौरान जातीय जनगणना के मुद्दे पर पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और विपक्ष के नेता राहुल गांधी के बीच नोकझोंक हुई। इस विवाद के बीच समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने राहुल गांधी का समर्थन किया और सत्तापक्ष को आड़े हाथों लिया। बाद में पीठासीन अधिकारी जगदंबिका पाल ने विवादित शब्दों को कार्यवाही से हटाकर मामला शांत किया।
अनुराग ठाकुर का हमला
पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने बजट पर चर्चा के दौरान लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी पर जमकर हमला बोला। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्रियों के कार्यकाल के दौरान हुए घोटालों का भी जिक्र किया और ओबीसी के मुद्दे पर भी निशाना साधा। ठाकुर ने कहा, “जिसकी जाति का पता नहीं है, वह जाति जनगणना की बात कर रहे हैं।” इस बयान पर अखिलेश यादव ने कड़ी प्रतिक्रिया दी और अनुराग ठाकुर को निशाने पर लिया। अखिलेश यादव और केशव मौर्य के बीच जारी यह बयानबाजी भारतीय राजनीति की उस कटु वास्तविकता को दर्शाती है, जहां व्यक्तिगत टिप्पणियों और कटाक्षों का प्रमुख स्थान है। राजनीतिक नेताओं को यह समझना चाहिए कि इस तरह की बयानबाजी से जनता के मुद्दे और समस्याएं दरकिनार हो जाती हैं।
इस विवाद ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि राजनीति में मुद्दों की बजाय व्यक्तियों पर हमले करना एक आम बात हो गई है। इस तरह की राजनीति न तो जनता के हित में है और न ही देश की प्रगति के लिए। देश की प्रगति तभी संभव है जब राजनीतिक चर्चा सार्थक और मुद्दों पर आधारित हो, न कि व्यक्तिगत टिप्पणियों और कटाक्षों पर।