UP News: फिल्म अभिनेत्री और पूर्व सांसद जयाप्रदा (Jaya Prada) को एक और बड़ी राहत मिली है। 2019 के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) में उन पर लगे चुनाव आचार संहिता उल्लंघन के एक और मामले में रामपुर (Rampur) की एमपी-एमएलए कोर्ट (MP-MLA Court) ने उन्हें बरी कर दिया है। जयाप्रदा के खिलाफ यह मामला उत्तर प्रदेश के स्वार कोतवाली क्षेत्र से जुड़ा था, जहां उन पर चुनाव आचार संहिता (election code of conduct) का उल्लंघन करते हुए एक सड़क का उद्घाटन करने का आरोप था। इससे पहले केमरी थाने में दर्ज एक अन्य मामले में भी जयाप्रदा को कोर्ट द्वारा बरी किया जा चुका है।
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वीडियो के आधार पर दर्ज हुई थी प्राथमिकी
यह मामला तब सामने आया जब जयाप्रदा ने नूरपुर गांव में एक सड़क का उद्घाटन किया था, जो चुनाव आचार संहिता के लागू होने के बावजूद हुआ। इस उद्घाटन का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ और इसके आधार पर उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर दी गई थी। पुलिस ने जांच कर उनके खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया और मामला एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट (मजिस्ट्रेट ट्रायल) में पहुंचा।
बुधवार को इस मामले की सुनवाई हुई, जिसमें जयाप्रदा खुद कोर्ट में मौजूद थीं। कोर्ट ने इस मामले में जयाप्रदा को बरी कर दिया। जयाप्रदा के अधिवक्ता अरुण प्रकाश सक्सेना ने बताया कि अभियोजन पक्ष जयाप्रदा के खिलाफ लगे आरोपों को साबित नहीं कर सका। इस केस में जितने भी गवाह पेश किए गए, उनमें कोई प्रत्यक्षदर्शी नहीं था।
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फॉरेंसिक जांच नहीं होने से कमजोर पड़ा अभियोजन
इस मामले में एक अहम पहलू यह था कि जिस वीडियो के आधार पर प्राथमिकी दर्ज की गई थी, उसकी फॉरेंसिक जांच नहीं कराई गई थी। ऐसे में अभियोजन पक्ष जयाप्रदा के खिलाफ ठोस सबूत पेश नहीं कर सका। कोर्ट ने इस आधार पर जयाप्रदा को बरी कर दिया। यह दूसरा मौका है जब जयाप्रदा को चुनाव आचार संहिता उल्लंघन के मामले में राहत मिली है।
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पहले भी बरी हो चुकी हैं जयाप्रदा
यह पहला मामला नहीं है जब जयाप्रदा को कोर्ट से राहत मिली है। इससे पहले 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान केमरी थाने में दर्ज एक अन्य आचार संहिता उल्लंघन के मामले में भी जयाप्रदा बरी हो चुकी हैं। उस मामले में उन पर सपा नेता आजम खां के खिलाफ आपत्तिजनक बयान देने का आरोप था। जयाप्रदा ने पिपिलिया गांव में एक जनसभा के दौरान आजम खां और बसपा सुप्रीमो मायावती के खिलाफ अमर्यादित भाषा का प्रयोग किया था, जिसके बाद उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था। हालांकि, इस मामले में भी अभियोजन पक्ष कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर पाया और जयाप्रदा को बरी कर दिया गया था।
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आजम खां के साथ रहा राजनीतिक टकराव
जयाप्रदा और सपा नेता आजम खां (azam khan) के बीच राजनीतिक टकराव लंबे समय से चला आ रहा है। एक समय था जब आजम खां ने जयाप्रदा का समर्थन किया था, लेकिन 2009 के लोकसभा चुनाव के बाद दोनों के रिश्ते बिगड़ गए। 2004 में जब जयाप्रदा समाजवादी पार्टी में शामिल हुईं, तो उन्हें रामपुर से लोकसभा का टिकट मिला था। उस समय आजम खां ने उनका समर्थन किया था, और उन्होंने कांग्रेस की दिग्गज नेता बेगम नूर बानो को हराकर अपनी पहली लोकसभा सीट जीती थी। हालांकि, 2009 के चुनाव में आजम खां ने उनका विरोध किया, लेकिन इसके बावजूद जयाप्रदा जीतकर सांसद बनीं। इसके बाद 2014 में जयाप्रदा ने आरएलडी के टिकट पर बिजनौर से चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
भाजपा में शामिल होने का लिया था फैसला
आजम खां से लगातार टकराव और चुनावी हार के बाद जयाप्रदा ने 2019 में भारतीय जनता पार्टी (BJP) का दामन थाम लिया। उन्होंने दिल्ली में भाजपा की सदस्यता ग्रहण की और रामपुर में भाजपा के उम्मीदवार आकाश सक्सेना के लिए चुनाव प्रचार किया। भाजपा में शामिल होने के बाद जयाप्रदा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में आजम खां के खिलाफ रामपुर से चुनाव लड़ा, हालांकि उन्हें इस चुनाव में हार का सामना करना पड़ा।
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जयाप्रदा की राजनीतिक यात्रा
जयाप्रदा की राजनीतिक यात्रा उतार-चढ़ाव से भरी रही है। एक समय वह समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) की प्रमुख चेहरे थीं और रामपुर से दो बार सांसद बनीं। हालांकि, आजम खां से रिश्ते बिगड़ने के बाद उनकी राजनीतिक स्थिति कमजोर हो गई। इसके बाद उन्होंने भाजपा (BJP) का दामन थाम लिया और पार्टी के लिए चुनाव प्रचार किया। जयाप्रदा के खिलाफ आचार संहिता उल्लंघन के मामले में अदालत का यह फैसला उन्हें बड़ी राहत देता है। अब देखना यह है कि उनका आगे का राजनीतिक सफर कैसा रहता है।