Maneka Gandhi News: इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने बुधवार को भारतीय जनता पार्टी (BJP) की नेता मेनका गांधी (Maneka Gandhi ) द्वारा समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद राम भुआल निषाद के निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी। पीठ ने कहा कि याचिका वैधानिक अवधि 45 दिन की समय सीमा के बाद दायर की गई थी, इसलिए याचिका पर गुण-दोष के आधार पर सुनवाई नहीं की जा सकती। मेनका गांधी ने कहा, “मैं न्यायालय के फैसले का सम्मान करती हूँ, लेकिन मेरा मानना है कि निषाद ने अपने आपराधिक मामलों की पूरी जानकारी नहीं दी थी। मैं इस पर विचार करूंगी कि आगे क्या कदम उठाए जा सकते हैं।”
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समय सीमा पार होने पर याचिका खारिज
न्यायमूर्ति राजन राय की पीठ ने मेनका गांधी द्वारा दायर चुनाव याचिका पर फैसला सुनाया। पीठ ने याचिका की स्वीकार्यता के संबंध में 5 अगस्त को अपना आदेश सुरक्षित रखा था। उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने 5 अगस्त को पीठ के समक्ष वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए कहा था कि याचिका पर गुण-दोष के आधार पर फैसला किया जाना चाहिए, क्योंकि हाल में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में सुल्तानपुर सीट से चुने गए राम भुआल निषाद ने मतदाताओं को अपने पूरे आपराधिक अतीत को जानने के अधिकार से वंचित किया।
आपराधिक मामलों को लेकर दी दलील
लूथरा ने दलील दी थी कि याचिका दायर करने में हुई देर को माफ किया जाना चाहिए। उन्होंने तर्क दिया था कि निषाद के खिलाफ 12 आपराधिक मामले लंबित हैं, जबकि उन्होंने अपने हलफनामे में केवल आठ मामलों की जानकारी दी थी। मेनका गांधी ने यह तर्क दिया था कि यह तथ्य मतदाताओं को अपने प्रतिनिधि के आपराधिक अतीत के बारे में पूरी जानकारी से वंचित करता है।
याचिका की स्वीकार्यता पर फैसला
मेनका गांधी की दलील को खारिज करते हुए पीठ ने कहा कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 81 सहपठित धारा 86 और सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश सात, नियम 11 (डी) के तहत समय बीत जाने के कारण यह चुनाव याचिका खारिज किए जाने योग्य है। निषाद ने लोकसभा चुनाव में सुल्तानपुर सीट से भाजपा उम्मीदवार मेनका गांधी को 43,174 मतों के अंतर से पराजित किया था। मेनका ने पिछले महीने याचिका दायर की थी।
सांसद निषाद का प्रतिक्रिया
इस फैसले के बाद, राम भुआल निषाद ने कहा, “मैं न्यायालय के फैसले का स्वागत करता हूँ। यह सत्य की जीत है। मैंने अपने हलफनामे में सभी आवश्यक जानकारी दी थी और किसी भी प्रकार का कोई भी तथ्य छिपाने की कोशिश नहीं की।” इस मामले का राजनीतिक परिदृश्य पर व्यापक असर हो सकता है। भाजपा और सपा दोनों ही पार्टियों के नेता इस फैसले के बाद अपने-अपने समर्थकों को संदेश देने की कोशिश करेंगे। यह मामला न केवल सुल्तानपुर बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश में चर्चा का विषय बन गया है। अब देखना होगा कि मेनका गांधी इस फैसले के बाद क्या कदम उठाती हैं।