UP Ghosi Bypoll: घोसी उपचुनाव जैसे जैसे नज़दीक आता जा रहा है जनता की निगाहें और पार्टियों की साँसें इस पर अटकती जा रही है। दोनों ही पार्टियों ने जीत का पूरा मन बना लिया है, लेकिन इस मन की इच्छा को साकार करना सिर्फ और सिर्फ जनता के हाथों में है। दोनों पार्टियों ने अपने खेमे से सबसे मज़बूत दावेदारों को उतारा है। BJP ने अपना मास्टर प्लान खेलते हुए घोसी सीट पर जीते दारा सिंह चौहान को अपनी सभा में मिलाकर जहाँ घोसी सीट पर फिर से रेस करवा दी है तो वहीं दूसरी तरफ सपा ने वोट बचाने के लिए पूर्व विधायक रहे सुधाकर सिंह को उतारा है।
राजनीति पर जमकर पलटवार
उपचुनाव के शतरंज में अपनी अगली बाज़ी खेलने के लिए अखिलेश यादव ने बीते दिन घोसी का रुख किया था। सपा से अपने प्रत्याशी के पक्ष में प्रचार करने गए अखिलेश ने बीजेपी की छोटी राजनीति पर जमकर पलटवार किया। तंज कसते हुए अखिलेश ने कहा कि डबल इंजन की सरकार का ड्राइवर भाग चुका है, वोटरों के साथ छल करनेवालों को जनता माफ़ नहीं करेगी। सुधाकर सिंह को जनता ने विजयी बनाने का मन बना लिया है। बीजेपी पर हमला करते हुए अखिलेश ये तक कहे कि जो कल तक कभी घोसी देखने नहीं आते थे। आज वही मंत्री किसानों का हाथ पकड़कर चलने का दिखावा कर रहे हैं।
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बीजेपी ने खेला मास्टर स्ट्रोक
UP की जनता के लिए किसी सीट पर इतनी बहस होना कोई नयी बात नहीं है। राजनीति में हर गरम मुद्दे पर रोटी सेकना हर पार्टी का सबसे मनपसंद काम है। लेकिन ये सीट पॉलिटिक्स लिहाज़ से इसलिए अहम होती जा रही है। क्योंकि इस पर अखिलेश यादव की पार्टी एक बार फिर से घेर ली गयी और बीजेपी ने अपने मास्टर स्ट्रोक में सपा को फंसाकर घोसी सीट के राजा दारा सिंह चौहान को अपनी सभा का हिस्सा बना लिया और अखिलेश की रही सही सीटों से एक सीट गिरा दी। अब इसे UP की जनता तो चुनाव कहेगी, लेकिन अखिलेश के लिए ये सम्मान की बात है। आखिर घर में पड़ी हुई कुर्सी को पड़ोसी उठा ले जाये तो बुरा लगना लाज़मी है।
सम्मान की लड़ाई लड़ने उतरे अखिलेश यादव
अपने सम्मान की लड़ाई लड़ने उतरे अखिलेश यादव ने घोसी में जनता को सम्बोधित करते हुए कहा कि बीजेपी विपक्षी गठबंधन से घबरा गई है। बीजेपी पर हमला करते हुए अखिलेश ने ये तक कहा कि लखनऊ से लेकर घोसी तक में एक भी बड़ा कारखाना दिख रहा है तो बताइये? मंडी बनी होती तो किसानों को आज बहुत फायदा मिलता।
बीजेपी सरकार ने नौजवानों के भविष्य को अंधकार में धकेल दिया है। अपने भाषण से तो अखिलेश ने एड़ी चोटी का ज़ोर लगा दिया है और इसे सिर्फ चुनाव की तरह न लेकर सम्मान की लड़ाई बना लिया है। अब अगर दोनों पार्टियों के समीकरण को समझें तो ये लड़ाई बराबरी की लग रही है लेकिन परिणाम तो 8 सितम्बर को ही आएगा और सबके सामने बिल्कुल साफ़ हो जायेगा की अखिलेश का सम्मान जीतता है या बीजेपी के दारा सिंह चौहान और ओम प्रकाश राजभर का विनिंग कॉम्बिनेशन।