UP News: यूपी पुलिस महकमें में उस वक्त हड़कंप मच गया जब बिना बताए विदेश यात्रा पर गए अव्वल दर्जे के अधिकारियों पर योगी सरकार ने एक्शन लिया। दरअसल उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग में भ्रष्टाचार के खिलाफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति के तहत एक बड़ा कदम उठाया है। स्टांप और रजिस्ट्रेशन विभाग के तीन वरिष्ठ अधिकारियों पर कार्रवाई की गई है, जिससे विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। डीआईजी स्टांप राम अकबाल सिंह को बिना अनुमति विदेश यात्रा करने के आरोप में आगरा से हटाकर मुख्यालय अटैच कर दिया गया है।
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बिना बताए गए विदेश यात्रा करना पड़ा भारी
आगरा मंडल के उप महानिरीक्षक निबंधन और उपायुक्त स्टांप बिना विभागीय अवकाश के नेपाल चले गए थे। इससे पहले भी वे थाईलैंड घूमकर आये थे। जब उनकी इन यात्राओं पर सवाल उठाया गया तब उन्हें थाईलैंड जाने के आरोप का सामना भी करना पड़ा था, हालांकि बाद में उन्हें यात्रा की एनओसी मिल गई थी। बिना विभागीय स्वीकृति के विदेश यात्रा करने पर आगरा मंडल की कमिश्नर रितु महेश्वरी ने शिकायत दर्ज कराई थी।
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डीआईजी और एआईजी पर हुई कार्रवाई
जांच में लापरवाही बरतने और रिपोर्ट न देने पर अपर महानिरीक्षक (निबंधन) को पद से हटा दिया गया है। इसके अलावा, सहायक महानिरीक्षक सुनीता बाजपेयी पर भी भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। भाजपा विधायक राम फेरन पांडेय ने उन्हें भ्रष्टाचार के आरोप में संलिप्त बताया था। उनकी शिकायत पर ध्यान देते हुए सुनीता बाजपेयी को भी मुख्यालय से अटैच कर दिया गया है और लखनऊ कैम्प कार्यालय को जांच के निर्देश दिए गए हैं।
डीआईजी राम अकबाल सिंह पर लगे आरोपों की जांच अपर महानिरीक्षक (पश्चिमी क्षेत्र) मुनीन्द्र सक्सेना को सौंपी गई है। उन्होंने कई मामलों की जांच कर रहे थे, लेकिन आरोपों की गंभीरता और जांच प्रभावित होने की संभावना को देखते हुए उन्हें मुख्यालय अटैच कर दिया गया है। प्रमुख सचिव लीना जौहरी ने भी कार्रवाई में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं।
विभागीय अव्यवस्थाओं पर उठाया सवाल
भ्रष्टाचार और लापरवाही के आरोपों की गंभीरता को देखते हुए, विभाग में इस समय अनियमितताओं और जांच में ढिलाई पर सवाल उठ रहे हैं। विभाग की छवि और कार्यप्रणाली को सुधारने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नीति के तहत यह कार्रवाई की गई है। अधिकारियों के खिलाफ की गई सख्त कार्रवाई से विभागीय अनुशासन को लेकर एक स्पष्ट संदेश गया है। यह कदम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भ्रष्टाचार और प्रशासनिक ढिलाई के खिलाफ सख्त कार्रवाई की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। पुलिस विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ इस प्रकार की कार्रवाई से भविष्य में बेहतर प्रशासनिक व्यवस्था की उम्मीद जताई जा रही है।
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