Poster war in UP: उत्तर प्रदेश में उपचुनाव का माहौल चरम पर है, और इस बीच राजनीतिक दलों के बीच पोस्टर युद्ध लगातार गर्माता जा रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) के बयान “कटेंगे तो बटेंगे” ने मथुरा में खूब हलचल मचाई। इस बयान को संघ का समर्थन मिला और सोशल मीडिया पर इसकी चर्चा ने इसे और भड़का दिया। शनिवार रात को फिर से एक नया पोस्टर चर्चा का विषय बन गया। इस बार पोस्टर में योगी आदित्यनाथ के नारे पर पलटवार करते हुए लिखा गया- “मठाधीश बांटेंगे और कांटेंगे… पीडीए जोड़ेगी और जीतेगी।” यह नारा समाजवादी पार्टी के पीडीए गठबंधन (पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक) को मजबूती से प्रस्तुत करने के लिए था, जो योगी के बयान की तीखी प्रतिक्रिया के रूप में सामने आया।
सपा नेता अमित चौबे की सक्रियता से बढ़ी हलचल
कुछ दिन पहले ही समाजवादी पार्टी के महाराजगंज के फरेंदा विधानसभा से सक्रिय नेता अमित चौबे ने भी इस मुद्दे को हवा दी थी। उन्होंने पोस्टर पर अपने नाम के साथ एक संदेश प्रस्तुत किया, जिसमें पीडीए गठबंधन की ओर से विपक्ष के समर्थन को दर्शाया गया। इस पोस्टर के माध्यम से सपा ने योगी के बयान की आलोचना करते हुए अपनी राजनीतिक स्थिति को मजबूत करने का प्रयास किया है।
अखिलेश यादव के जन्मदिन पर लगे पोस्टर ने बढ़ाई राजनीतिक गरमाहट
लखनऊ में अखिलेश यादव के जन्मदिन पर लगाए गए पोस्टरों ने भी इस पोस्टर युद्ध में घी का काम किया। एक पोस्टर में अखिलेश को “सत्ताईस का सत्ताधीश” के रूप में पेश किया गया था, जो 2027 के विधानसभा चुनाव में उनकी मुख्यमंत्री उम्मीदवारी को लेकर संकेत दे रहा था। इसे संत कबीर नगर की मेहंदावल सीट पर सपा नेता जयराम पांडे ने लगाया था, जिन्हें टिकट के संभावित दावेदार के रूप में देखा जा रहा है।
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सपा का पुराना पोस्टर – “प्रधानमंत्री अखिलेश यादव” का दावा
यह पहली बार नहीं है कि सपा ने पोस्टर के माध्यम से अखिलेश यादव की नेतृत्व क्षमता को बढ़ा-चढ़ा कर प्रस्तुत किया है। इससे पहले, अखिलेश के जन्मदिन पर लखनऊ में कार्यकर्ताओं ने उन्हें भावी प्रधानमंत्री के रूप में पेश करते हुए पोस्टर लगाया था, जिसमें लिखा था- “प्रधानमंत्री अखिलेश यादव, आपके नेतृत्व में देश को नई दिशा मिलेगी।” उस समय भी यह पोस्टर सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था और इसके जरिए सपा ने अपना संदेश स्पष्ट कर दिया था।
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बढ़ती पोस्टर राजनीति के क्या मायने?
उत्तर प्रदेश में इन पोस्टरों की सियासत ने चुनावी माहौल को और गरमा दिया है। हर एक नए पोस्टर के जरिए सपा और भाजपा, दोनों ही दल अपनी सियासी स्थिति को मजबूत करने में जुटे हुए हैं। यह पोस्टर युद्ध सिर्फ नारों और प्रचार तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह दर्शाता है कि आगामी उपचुनावों में जीत के लिए दोनों पक्ष किसी भी सीमा तक जा सकते हैं।