UP By-election: उत्तर प्रदेश में विधानसभा उपचुनाव के नजदीक आते ही ‘जुड़ेंगे…कटेंगे’ नारे पर सियासी गर्मी बढ़ गई है। सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी सपा एक-दूसरे पर जमकर निशाना साध रहे हैं, जिसमें धार्मिक और जातीय ध्रुवीकरण के आरोप-प्रत्यारोप जारी हैं। इस मुद्दे ने एक बार फिर उत्तर प्रदेश की राजनीति में भौगोलिक और सामाजिक समीकरणों को केंद्र में ला खड़ा किया है।
सपा – “इतिहास का सबसे खराब नारा”
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने ‘बांटोगे तो कटोगे’ बयान को “इतिहास का सबसे खराब नारा” बताते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर तीखा हमला किया था। अखिलेश ने इसे जनता को बांटने और सामाजिक समरसता पर खतरे का प्रतीक बताया। दूसरी ओर, भाजपा के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य (Deputy CM Keshav Prasad Maurya) ने पलटवार करते हुए कहा, “सपा सिर्फ वोट के लिए जिहादियों का समर्थन करती है। सपा का असली एजेंडा मुस्लिम तुष्टीकरण और वोटबैंक की राजनीति है।” उन्होंने सपा पर समाज को ‘लव जिहाद’, ‘लैंड जिहाद’, और ‘वोट जिहाद’ जैसी रणनीतियों के जरिए बांटने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि यह सपा का असली चेहरा और चरित्र है, जो अब जनता के सामने बेनकाब हो चुका है।
‘जुड़ेंगे-कटेंगे’ से राजनीतिक पोस्टरबाजी तेज
शनिवार की रात सपा कार्यालय के बाहर लगाए गए एक पोस्टर ने और अधिक चर्चा बटोरी। इस पोस्टर में लिखा था, “मठाधीश बांटेंगे और काटेंगे… पीडीए जोड़ेगी और जीतेगी।” सपा ने पीडीए (पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक) के साथ जोड़ने पर जोर दिया है, जिससे वे भाजपा की धार्मिक ध्रुवीकरण की रणनीति के मुकाबले जातीय ध्रुवीकरण को साधने का प्रयास कर रहे हैं।
मायावती भी उतरी मैदान में
बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी इस मुद्दे पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि ‘बसपा से जुड़ेंगे तो आगे बढ़ेंगे और सुरक्षित रहेंगे।’ मायावती ने सपा और भाजपा के बीच चल रही पोस्टरबाजी को बेकार बताते हुए लोगों से बसपा से जुड़ने की अपील की।
चुनावी ध्रुवीकरण की कोशिश या वाकई सामाजिक चिंता?
भाजपा के ‘धार्मिक’ और सपा के ‘जातीय’ ध्रुवीकरण का ये खेल, 23 नवंबर को आने वाले चुनाव परिणामों में किसके लिए फायदेमंद साबित होगा, यह देखना दिलचस्प होगा। फिलहाल, राज्य की 9 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है और हर पार्टी अपने एजेंडे को मजबूती से प्रचारित कर रही है। ऐसे में देखना होगा कि इस चुनावी खींचतान में जनता की असल समस्याओं पर कौन सी पार्टी ध्यान केंद्रित करती है और वोटरों का भरोसा हासिल करने में कामयाब होती है।