Phulpur by-election: उत्तर प्रदेश के नौ विधानसभा क्षेत्रों में हो रहे उपचुनाव में प्रयागराज की फूलपुर (Phulpur) सीट सबसे चर्चित बन चुकी है। यहां मतदाताओं को रिझाने के लिए सभी पार्टियों ने पूरी ताकत झोंक दी है। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी 10 दिनों के भीतर दो रैलियां कर अपनी प्राथमिकता स्पष्ट कर दी है। लेकिन, बसपा भी इस मुकाबले में पीछे नहीं है और अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है।
बसपा प्रत्याशी जितेंद्र कुमार सिंह ने संभाली कमान
बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने फूलपुर उपचुनाव में जीत के लिए प्रत्याशी जितेंद्र कुमार सिंह को मैदान में उतारा है। पार्टी के नेता और कार्यकर्ता लगातार ब्राह्मण, ठाकुर और अनुसूचित जाति के वोटों को अपने पक्ष में करने की कोशिश में जुटे हैं। रविवार को पार्टी के चुनाव कार्यालय को “वॉर रूम” में तब्दील कर दिया गया, जहां जीत की रणनीति पर काम किया जा रहा है।
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दलित और ठाकुर वोटों पर है कड़ी नजर
बसपा की रणनीति खासतौर पर दलित बाहुल्य इलाकों और ठाकुर वर्ग के मतदाताओं पर केंद्रित है। पार्टी के कार्यकर्ता घर-घर जाकर मतदाताओं से संपर्क कर रहे हैं और भाजपा व सपा पर निशाना साधते हुए मतदाताओं को अपने पक्ष में करने का प्रयास कर रहे हैं। बसपा जिलाध्यक्ष पंकज गौतम ने कहा, “हमारे कार्यकर्ता पूरी मेहनत कर रहे हैं। जनता का रुझान हमारे पक्ष में है, और हम जीतने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।”
सपा और भाजपा पर किये तीखे हमले
बसपा के नेता अपने चुनाव प्रचार में सपा और भाजपा पर जमकर हमला बोल रहे हैं। वे इन दोनों दलों को धोखेबाज बताते हुए मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं। पार्टी के मंच से बार-बार यह संदेश दिया जा रहा है कि बसपा ही एकमात्र पार्टी है, जिसने गरीबों, पिछड़ों और दलितों के लिए काम किया है।
18 और 19 नवंबर को प्रचार का अंतिम दौर
चुनाव प्रचार अपने अंतिम दौर में पहुंच चुका है, और 18 और 19 नवंबर को बसपा अपने कड़े प्रयासों को अंतिम रूप देगी। पार्टी सुनिश्चित कर रही है कि कोई भी वोट गवांया न जाए। हर वर्ग को जोड़ने और जातीय समीकरण साधने की कवायद में बसपा ने अपने पुराने और भरोसेमंद कार्यकर्ताओं को मैदान में उतार दिया है।
फूलपुर पर टिकी सबकी नजरें
फूलपुर उपचुनाव न केवल बसपा के लिए बल्कि सपा और भाजपा के लिए भी प्रतिष्ठा का प्रश्न बन चुका है। यहां का परिणाम न सिर्फ स्थानीय बल्कि प्रदेश की राजनीति की दिशा तय कर सकता है। जनता का फैसला 21 नवंबर को मतगणना में सामने आएगा, लेकिन फिलहाल बसपा ने चुनावी मैदान को दिलचस्प बना दिया है।