UP By-election: उत्तर प्रदेश में हो रहे उपचुनावों (by-election) को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) प्रमुख अखिलेश यादव (akhilesh yadav) ने घोषणा की है कि उनकी पार्टी सभी नौ सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी। इस घोषणा के बाद यूपी की राजनीति में हलचल मच गई है। अखिलेश यादव ने इस बात की जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर दी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ एक तस्वीर साझा की। हालांकि, अखिलेश ने यह भी साफ किया कि कांग्रेस इस चुनाव में सपा को पूरा समर्थन देगी।
लेकिन, सपा के इस फैसले के बाद कांग्रेस में नाराजगी के सुर भी उभरने लगे हैं। कांग्रेस के पूर्व नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम (Acharya Pramod Krishnam) ने इसे लेकर सपा और कांग्रेस पर तंज कसते हुए एक ट्वीट किया, जो राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है।
आचार्य प्रमोद ने कसा तंज
आचार्य प्रमोद कृष्णम अक्सर अपने तीखे बयानों के लिए सुर्खियों में रहते हैं। इस बार भी उन्होंने कांग्रेस और सपा के बीच बने समीकरणों पर चुटकी ली है। सपा के सभी नौ सीटों पर चुनाव लड़ने के ऐलान के बाद आचार्य प्रमोद ने ट्वीट कर तंज कसा, “कांग्रेस को अपना ‘दफ्तर’ और ‘झंडा’ भी सपा को सौंप देना चाहिए।” यह टिप्पणी कांग्रेस के उस फैसले के बाद आई, जब पार्टी सपा के साथ गठबंधन में होते हुए भी उपचुनावों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश कर रही थी। दरअसल, कांग्रेस पांच सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती थी, लेकिन सपा ने उसके लिए केवल गाजियाबाद और खैर सीटें ही छोड़ी थीं, जिसके बाद कांग्रेस में असंतोष पनपने लगा।
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कांग्रेस और सपा के बीच बिगड़ी बातचीत
उपचुनाव की तैयारी के दौरान कांग्रेस और सपा के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर मतभेद उभर आए थे। कांग्रेस फूलपुर और मझवां सीटों से भी चुनाव लड़ना चाहती थी, लेकिन अखिलेश यादव ने पहले ही इन सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए थे। इसके बाद कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता नाराज हो गए, जिससे दोनों दलों के बीच बातचीत बिगड़ गई। आचार्य प्रमोद का तंज इसी नाराजगी को लेकर था, क्योंकि सपा के इस फैसले के बाद कांग्रेस खुद को उपचुनाव में सिमटा हुआ महसूस कर रही है। हालांकि, कांग्रेस ने औपचारिक रूप से इस मामले पर कोई बड़ा बयान नहीं दिया है, लेकिन आचार्य प्रमोद की टिप्पणी ने राजनीतिक माहौल में गर्मी जरूर ला दी है।
13 नवंबर को होंगे उपचुनाव, भाजपा ने घोषित किए उम्मीदवार
उत्तर प्रदेश में 13 नवंबर को उपचुनाव के लिए वोट डाले जाएंगे। यह चुनाव कई मायनों में महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि इससे आगामी विधानसभा चुनावों की दिशा और दशा तय हो सकती है। इसीलिए सभी प्रमुख दल अपनी पूरी ताकत झोंकने में लगे हुए हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने भी अपने सात उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी है। भाजपा इन चुनावों में पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतरी है। सपा और कांग्रेस के बीच सीटों को लेकर उपजा विवाद भाजपा के लिए लाभदायक साबित हो सकता है।
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कांग्रेस-सपा के रिश्तों पर उठे सवाल
इस उपचुनाव में सपा के अकेले लड़ने के फैसले से कांग्रेस के साथ उसके संबंधों पर भी सवाल उठने लगे हैं। जहां एक ओर राहुल गांधी और अखिलेश यादव की मुलाकात को गठबंधन की मजबूती के रूप में देखा जा रहा था, वहीं दूसरी ओर उपचुनाव में सीटों के बंटवारे पर यह टकराव गठबंधन के भविष्य पर सवाल खड़े कर रहा है। अब देखना यह है कि सपा और कांग्रेस के बीच यह तनाव उपचुनाव के परिणामों पर कितना असर डालता है, और क्या दोनों दल अगले चुनावों में साथ मिलकर मजबूत गठबंधन बना पाएंगे या फिर यह गठबंधन भी यूपी की राजनीति की अन्य कहानियों की तरह खत्म हो जाएगा।
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