महाकुंभ 2025, जो 13 जनवरी से 26 फरवरी तक प्रयागराज के संगम स्थल पर आयोजित किया जा रहा है, इस बार कई मायनों में अद्भुत और अनोखा होने जा रहा है। इस कुंभ के आयोजन के साथ संगम तट पर ऐसे कई आकर्षक दृश्य देखने को मिल रहे हैं, जो न केवल श्रद्धालुओं, बल्कि देश-विदेश से आए पर्यटकों का ध्यान भी आकर्षित कर रहे हैं। विशेष रूप से यहां आने वाले संत, बाबा और साधु अपनी तपस्या, हठ और विचित्र अंदाज के कारण सुर्खियों में बने हुए हैं। उसी में से एक बाबा हैं टार्जन बाबा…. आइए जानते है इनकी पूरी कहानी।
महाकुंभ में 52 साल पुरानी एंबेसडर कार
महाकुंभ मेला 2025 में एक खास दृश्य देखने को मिलेगा, जब 52 साल पुरानी एंबेसडर कार ने आकर्षण का केंद्र बना लिया है। यह कार एक ऐतिहासिक और अनोखी गवाही के रूप में मौजूद है, जो विशेष रूप से कुम्भ मेले में उपस्थित भक्तों और पर्यटकों का ध्यान आकर्षित कर रही है। इस कार का संबंध एक ऐसे संत से जुड़ा हुआ है, जिन्हें “टार्जन बाबा” के नाम से जाना जाता है।
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टार्जन बाबा की कहानी
टार्जन बाबा, जो वास्तविक नाम से “स्वामी वीरेंद्रनाथ” के नाम से प्रसिद्ध हैं, एक अजीब और प्रेरणादायक जीवन जीते थे। वह कुम्भ मेला में विशेष रूप से 52 साल पुरानी एंबेसडर कार में बैठकर आते थे, जो उनके जीवन का प्रतीक बन गई थी। इस कार के माध्यम से उन्होंने दुनिया को यह संदेश दिया कि साधना और साधारणता का मिलाजुला रूप जीवन की सच्ची सफलता है।टार्जन बाबा की जीवन यात्रा में अनोखा संघर्ष था। उन्हें अपनी साधना में विशेष रूप से जंगलों में समय बिताना पड़ता था और यही कारण था कि उन्हें “टार्जन बाबा” के नाम से पुकारा जाने लगा।
कुम्भ मेले में वह इस कार में बैठकर आते थे, जो उनके जीवन के एक अभिन्न हिस्सा बन चुकी थी। उनका उद्देश्य लोगों को यह संदेश देना था कि सांसारिक चीजों के साथ भी एक व्यक्ति साधना और भक्ति के मार्ग पर चल सकता है। उनकी यह कार अब महाकुंभ में एक प्रतीक बन गई है, जो हजारों लोगों का ध्यान आकर्षित कर रही है।
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एंबेसडर कार का महत्व
52 साल पुरानी एंबेसडर कार अब कुम्भ मेले का एक प्रमुख आकर्षण बन चुकी है। इस कार का ऐतिहासिक महत्व भी है, क्योंकि यह समय की परवाह किए बिना आज भी उसी रूप में मौजूद है, जैसी इसे पहले देखा गया था। यह कार न केवल एक साधक के साधना का प्रतीक है, बल्कि यह उस समय के भारतीय समाज की एक झलक भी पेश करती है, जब एंबेसडर कार भारतीय घरों की शान हुआ करती थी।