Gorakhpur News: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखपुर दौरे पर हैं। जहां हिंदी दिवस के अवसर पर सीएम योगी गोरखपुर विश्वविद्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल हुए। विश्वविद्यालय में उपस्थित छात्रों और शिक्षकों की मौजूदगी में सीएम योगी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वाराणसी के ज्ञानवापी का जिक्र कर बड़ी बात कही है साथ ही सीएम योगी ने आज हिंदी दिवस के अवसर पर सभी देशवासी और प्रदेशवासियों को बधाई दी है।
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गोरखपुर यूनिवर्सिटी में सीएम योगी का संबोधन
सीएम योगी ने कहा दुर्भाग्य से ज्ञानवापी को लोग आज दूसरे शब्दों में मस्जिद कहते हैं लेकिन ज्ञानवापी साक्षात में भगवान विश्वनाश ही हैं। इस मौके पर सीएम योगी ने गोरखपुर विश्वविद्यालय में नाथपंथ पर आयोजित गोष्ठी का शुभारंभ किया।नाथपंथ पर आयोजित कार्यक्रम में सीएम योगी ने कहा,संतों की परंपरा हमेशा लोगों को जोड़ने की रही है। संत समाज ने लोगों को जोड़ने का काम किया है। उन्होंने कहा आज जिसे लोग ज्ञानवापी मस्जिद कहते हैं वास्तव में वह साक्षात बाबा विश्वनाथ हैं।
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सीएम ने आदि शंकराचार्य की पौराणिक कथा का किया जिक्र
यूपी के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने बताया कि,केरल में एक संन्यासी ने जन्म लिया जिसके माता-पिता ने उनका नाम शंकर रखा और उनको दुनिया आदि शंकराचार्य के नाम से जानती है। उन्होंने भारत के चारों कोनों में चार पीठों की स्थापना की आचार्य शंकर जब अद्वैत ज्ञान से परिपूर्ण होकर आगे के ज्ञान के लिए काशी आए तो साक्षात भगवान विश्वनाथ ने उनकी परीक्षा ली।
सीएम योगी ने कार्यक्रम में मौजूद अतिथियों को बाबा विश्वनाथ के बारे में पौराणिक कथा का जिक्र किया और कहा कि, एक दिन ब्रह्म मुहूर्त में जब आदि शंकर गंगा स्नान के लिए जा रहे होते हैं तो उनके सामने चांडाल के रुप में बाबा विश्वनाथ खड़े हो जाते हैं तब शंकराचार्य कहते हैं…..मेरे मार्ग से हटो इस पर चांडाल रूप में बाबा विश्वनाथ उनसे एक प्रश्न पूछते हैं कि,आप अपने आपको अद्वैत ज्ञान का मर्मज्ञ मानते हैं आप किसे हटाना चाहते हैं आपका ज्ञान क्या इस भैतिक काया को देख रहा है या भौतिक काया के भीतर बसे उस ब्रह्म को देख रहा है?अगर इस ब्रह्म सत्य को जानकर आप ठुकरा रहे हैं तो आपका ज्ञान सत्य नहीं है।
दुर्भाग्य से आज लोग बोलते हैं ज्ञानवापी मस्जिद-सीएम योगी
सीएम योगी ने आगे बताया,चांडाल के मुंह से जब शंकराचार्य ने यह बातें सुनीं तो वह भौचक्के रह गए इस पर आदि शंकाराचार्य ने पूछा आप कौन हैं? मैं जानना चाहता हूं, इस पर चांडाल ने कहा….जिस ज्ञानवापी की साधना के लिए केरल से चलकर आप यहां आए हैं, मैं साक्षात विश्वनाथ हूं। जिसे आज लोग दुर्भाग्य से दूसरे शब्दों में ज्ञानवापी मस्जिद कहते हैं।शंकराचार्य उनके सामने नतमस्तक होते हैं,उनको पश्चाताप होता है कि भौतिक अस्पृश्यता है, यह न केवल साधना के मार्ग में बाधक है बल्कि राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए सबसे बड़ी बाधा है और यह देश इस बाधा को समझा होता तो हमारा देश कभी गुलाम नहीं होता।
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