UP By Election 2024: उत्तर प्रदेश की 9 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव (By Election) का बिगुल बज चुका है. यूपी उपचुनाव को सभी दलों ने अपनी तैयारियों को धार देना शुरु कर दिया है. राजनीतिक दलों के बीच सियासी बयानबाजी का सिलिसला भी तेज हो गया है. 13 नवंबर को सभी 9 सीटों पर मतदान होगा और 23 नवंबर को मतगणना होगी. इन सभी सीटों में सबसे ज्यादा चर्चा मैनपुरी (Mainpuri) की करहल (Karhal) सीट की हो रही है. इस सीट पर सपा और बीजेपी के बीच एक दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है, क्योंकि यहां फूफा-भतीजे की टक्कर हो रही है.
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फूफा-भतीजे की टक्कर ने चुनाव को बनाया रोचक
समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने अपने भतीजे तेज प्रताप यादव को करहल सीट से टिकट दिया है. तेज प्रताप यादव पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के परिवार के सदस्य हैं और वे यादव परिवार के एक महत्वपूर्ण प्रतिनिधि हैं. दूसरी ओर, भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अखिलेश के जीजा अनुजेश यादव को इस सीट से प्रत्याशी बनाया है. अनुजेश यादव, सपा सांसद धर्मेन्द्र यादव के सगे जीजा हैं, जिससे यह मुकाबला और भी रोचक बन गया है.
अखिलेश यादव ने सपा की जीत का दावा किया
सपा प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने करहल की जनता के प्रति अपना भरोसा जताते हुए इस सीट पर सपा की बड़ी जीत का दावा किया है. उन्होंने कहा, “करहल की जनता सिर्फ इस चुनाव में ही नहीं बल्कि 2027 के चुनाव में भी तेज प्रताप यादव का समर्थन करेगी. समाजवादी पार्टी की ऐतिहासिक जीत होगी और भाजपा की ऐतिहासिक हार होगी।” अखिलेश यादव ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा के लोग केवल हवा बनाते हैं, लेकिन वे कभी भी सफल नहीं हो पाते.
बीजेपी का दांव: अनुजेश यादव को मैदान में उतारा
बीजेपी ने सपा के गढ़ माने जाने वाले करहल में अनुजेश यादव को उतारकर एक बड़ा दांव खेला है. अनुजेश यादव, मुलायम सिंह यादव के परिवार के करीबी सदस्य हैं और भाजपा के इस निर्णय ने मुकाबले को और भी कठिन बना दिया है. उनकी शादी मैनपुरी की जिला पंचायत की पूर्व जिला प्रमुख संध्या यादव से हुई है, जो भाजपा की प्रमुख समर्थक हैं. इस पारिवारिक संबंध ने करहल के उपचुनाव में एक नई जटिलता को जन्म दे दिया है।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों की नजरें करहल पर
करहल (Karhal) सीट को लेकर राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि यह उपचुनाव यादव परिवार के दो महत्वपूर्ण सदस्यों के बीच एक बड़ी पारिवारिक टक्कर है. जहां तेज प्रताप यादव सपा के लंबे समय से करहल पर काबिज होने का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, वहीं अनुजेश यादव बीजेपी के समर्थन से इस क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहे हैं.
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सपा के गढ़ को चुनौती देने की कोशिश में बीजेपी
करहल सीट, जिसे सपा का गढ़ माना जाता है, वहां 1993 से समाजवादी पार्टी का कब्जा रहा है. सपा ने इस सीट पर हर बार बड़ी जीत हासिल की है. लेकिन इस बार बीजेपी ने अनुजेश यादव के जरिए इस गढ़ को चुनौती देने की ठानी है. अनुजेश यादव के मैदान में उतरने से मुकाबला और भी चुनौतीपूर्ण हो गया है, क्योंकि वे न केवल यादव परिवार के सदस्य हैं, बल्कि भाजपा के साथ जुड़ाव ने इस उपचुनाव (By Election) को और भी विवादास्पद बना दिया है.
उपचुनाव के परिणाम का इंतजार
13 नवंबर को होने वाले मतदान के बाद ही यह स्पष्ट होगा कि करहल की जनता सपा के प्रति अपनी निष्ठा बरकरार रखती है या फिर बीजेपी की नई रणनीति के आगे झुकती है. 23 नवंबर को मतगणना के बाद ही यह देखा जाएगा कि यादव परिवार की इस पारिवारिक टक्कर का अंत किस तरह होता है और कौन इस सीट पर विजय हासिल करता है.करहल सीट पर होने वाला उपचुनाव (By Election) राजनीतिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण है. इस चुनाव का परिणाम केवल एक विधानसभा सीट तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसका असर पूरे प्रदेश की राजनीति पर पड़ेगा. अब देखना यह होगा कि क्या सपा अपने गढ़ को बरकरार रख पाएगी या बीजेपी इस बार करहल में नया इतिहास रचने में सफल होगी.