Uttarakhand:उत्तराखंड देश का पहला राज्य हैं, जहां यूसीसी लागू है। वहीं इस कानून के तहत शादी से लेकर जमीन-जायदाद में हिस्सेदारी और लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर भी अलग नियम बनाए गए हैं। इस कानून में लिव-इन रिलेशन में रहने वाले जोड़ों को लेकर यह कहा गया है कि वह ऐसी स्थिति में अपना पंजीकरण कराएं, ताकि किसी भी विषम परिस्थिति में शासन-प्रशासन के द्वारा उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
इस बीच अब लिव इन रिलेशन में रहने वाला एक जोड़ा उत्तराखंड हाई कोर्ट के समक्ष अपनी सुरक्षा की गुहार लेकर पहुंचा। उस जोड़े ने अदालत को बताया कि वे लिव इन रिलेशन में रह रहे हैं। ऐसे में उन्हें बार-बार परिवार वालों की तरफ से धमकी मिल रही है, जबकि हम दोनों ही बालिग हैं और हमें हमारे जीवन के बारे में फैसला लेने का पूरा अधिकार है।
Read more :Lucknow में CM योगी ने अकबरनगर में किया ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान का शुभारंभ
48 घंटे के अंदर रजिस्टर्ड करने को कहा
ऐसे में उत्तराखंड हाई कोर्ट की तरफ से फैसला आया, जिसमें इस बात का जिक्र किया गया है कि इस जोड़े को अपने आपको उत्तराखंड समान नागरिक संहिता की धारा 378(1) के तहत अपना पंजीकरण कराना चाहिए यानी इस रिलेशनशिप को रजिस्टर्ड कराना चाहिए। साथ ही प्रशासन को यह ऑर्डर किया गया कि इस जोड़े की सुरक्षा सुनिश्चित करे। अदालत की तरफ से इस ऑर्डर में कहा गया कि आप अपने लिव इन रिलेशन को रजिस्ट्रार के पास 48 घंटे के अंदर रजिस्टर्ड करें और इसके साथ ही प्रशासन इस जोड़े की सुरक्षा को सुनिश्चित करे।
याचिकाकर्ताओं को दी जाएगी सुरक्षा
जिसके बाद हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को 48 घंटे के भीतर लिव इन रिलेशनशिप का रजिस्ट्रेशन करने का आदेश दिया इसके साथ ही एसएचओ दालनवाला देहरादून को उन्हें सुरक्षा प्रदान करने के निर्देश दिए. कोर्ट ने दोनों को अगले छह हफ्ते तक सुरक्षा के आदेश दिए हैं. इसके बाद भी उन दोनों पर खतरे का मूल्यांकन किया जाएगा। जिसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। यूसीसी में लिव इन रिलेशन में रहने वाले जोड़ों को भी रजिस्ट्रेशन कराने का प्रावधान हैं।
‘राइट टू प्राइवेसी का हनन नहीं’
ऐसे में उत्तराखंड हाई कोर्ट का यह फैसला ऐसे लोगों के लिए एक सबक है, जो इस कानून का विरोध कर रहे थे। कोर्ट के इस फैसले से साफ हो गया है कि इस कानून में कहीं कोई परेशानी नहीं है और इसके अंदर लिव इन रिलेशन में रहने वाले लोगों को रजिस्टर्ड होकर अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करानी चाहिए। ऐसा करने पर किसी भी प्रकार से राइट टू प्राइवेसी का हनन नहीं होता है।