Uttar Pradesh: यूपी के प्रयागराज से बुजुर्ग के साथ दुर्व्यवहार की खबर सामने आई हैं। बता दे कि यूपी के प्रयागराज में एक पिता ने बेटों के दुर्व्यवहार से परेशान होकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में इंसाफ की गुहार लगाई हैं। उन्होंने अपनी गुहार में कोर्ट से कहा कि उनके बेटे उनकों प्रताड़ित करते हैं, जिसके चलते उनको कोर्ट का रुख करना पड़ा।
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भरण पोषण करने का आदेश देने की मांग
दरअसल, पिता ने प्रताड़ना रोकने और प्यार सम्मान से उनका भरण पोषण करने का आदेश देने की मांग की है। आपको बता दे कि हंडिया निवासी छविनाथ (85) ने याचिका दाखिल करते हुए अपने बेटों के खिलाफ देखभाल न करने और भावनात्मक आश्रय देने की बजाय परेशान करने के साथ ही संपत्ति से बेदखल करने की शिकायत हाईकोर्ट में की थी।
हंडिया निवासी छविनाथ ने कोर्ट से गुहार लगाई
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि हंडिया निवासी छविनाथ ने कोर्ट से गुहार लगाई है कि कोर्ट उनके बेटों को आदेश कि वह उनकी देखभाल करें, प्यार सम्मान से उनका भरण पोषण करें। साथ ही कोर्ट से बेटों की प्रताड़ना रोकने की मांग की है। उनके बेटे उनको प्रताड़ित करते हैं। उन्होंने कोर्ट को बताया कि उनके बेटे उनके साथ बुरा व्यवहार करते हैं। बुजुर्ग पिता ने अपनी शिकायत के समाधान के लिए हंडिया के एसडीएम से भी गुहार लगाई थी। लेकिन उस पर कोई सुनावाई नहीं हुई।
जाने क्या कहा हाईकोर्ट ने
इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी और प्रशांत कुमार ने कहा कि हमारा देश महान संतान श्रवण कुमार की भूमि है, यहां बच्चों से अपने बुजुर्ग माता-पिता की उचित देखभाल करने की अपेक्षा की जाती है, लेकिन पीड़ादायक है कि नैतिक मूल्यों में इस कदर गिरावट आ गई है कि अपना सुख-चैन जिन बच्चों के लिए माता-पिता त्याग कर जीवन खत्म कर देते हैं, वही बच्चे उन्हें बुढ़ापे में दो जून की रोटी और मोहब्बत के लिए तरसा रहे हैं। आजकल कई मामलों में बच्चे अपने माता-पिता से संपत्ति प्राप्त करने के बाद अपने बूढ़े माता-पिता को छोड़ देते हैं। जो न सिर्फ दुखद है, बल्कि सामाजिक और नैतिक मूल्यों में निरंतर आ रही गिरावट का प्रतीक भी है।
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मामले की शिकायत हंडिया एसडीएम से की
बता दे कि हाईकोर्ट से गुहार लगाते हुए बुजुर्ग ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने छह महीने पहले मामले की शिकायत हंडिया एसडीएम से की थी। लेकिन आजतक इस मामले में कोई सुनवाई नहीं की गई। वहीं अब इस मामले में कोर्ट ने हंडिया एसडीएम को छह सप्ताह के भीतर शिकायतों पर सभी हितधारकों को सुनने के बाद सख्ती से जरूरी निर्णय लेने के निर्देश दिए हैं।
प्रस्ताव शीघ्र ही एक बार फिर कैबिनेट के सामने रखे जाएंगे
वहीं यूपी के माता-पिता के भरण-पोषण एवं कल्याण नियमावली में संशोधन के प्रस्ताव शीघ्र ही एक बार फिर कैबिनेट के सामने रखे जाएंगे। बता दे कि इसमें माता-पिता भरण पोषण नियमावली में संशोधन के लिए बिंदु 22 पर कुछ और उप नियम जोड़े जाएंगे। इस प्रस्ताव के अनुसार एसडीएम की अध्यक्षता में गठित ट्रिब्युनल को यह अधिकार होगा कि, वह माता-पिता का ध्यान न रखने वाले बच्चों को उनकी संपत्ति से बेदखल कर सकें। इस फैसले को लागू करवाने की जिम्मेदारी भी एसडीएम की होगी जिसमें पुलिस भी मदद करेगी।