Malihabad: यूपी की राजधानी लखनऊ में ट्रिपल मर्डर का मामला सामने आया है. मलिहाबाद थाना क्षेत्र के मोहम्मद नगर में 3 लोगों की दिनदहाड़े गोली मार कर हत्या कर दी गई. हत्या जमीनी विवाद को लेकर हुई है. ट्रिपल मर्डर के बाद से राजधानी में सनसनी फैल गई है. बदमाशों की अंधाधुंध फायरिंग में 5 लोगों को गोली लगी है. गोली लगने से 3 लोगों की मौत हो गई है. सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस ने शवों को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया.साथ ही मामले की जांच पड़ताल शुरु कर दी है.
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6 फुट जमीन को लेकर विवाद
पूरा मामला लखनऊ के मलिहाबाद के मोहम्मद नगर का है. लल्लन की मौजूदगी में हत्या को अंजाम दिया गया है. जमीनी पैमाइश को लेकर एक ही परिवार के तीन लोगों को मौत के घाट उतार दिया. लेखपाल की मौजूदगी में सिर्फ 6 फुट जमीन को लेकर विवाद शुरु हुआ. लेकिन विवाद ने खूनी संघर्ष का रुप ले लिया. एक पक्ष की ओर से हिस्ट्रीशीटर लल्न अपने बेटे और 4 लोगों के साथ गाड़ी से फरीद के घर पहुंचे. घर में घुसते ही लाइसेंसी असलहे से फायरिंग की. फरीद की पत्नी फरहीन खान(35), बेटा हंजला(16), और चचेरे भाई मुनीर अहमद उर्फ ताज (55) की हत्या कर दी. मिली जानकारी के मुताबिक दोनों पक्षों के बीच ये जमीनी विवाद काफी लंबे समय से चल रहा था.
वारदात को अंजाम देने के आरोपी मौके से फरार
अचानक ताबड़तोड़ फायरिंग से वहां दहशत फैल गई. वारदात को अंजाम देने के बाद सभी आरोपी वहां से फरार हो गए. दिनदहाड़े तीन लोगों की हत्या की खबर पाकर मौके पर डीसीपी पश्चिम राहुल राज सहित अन्य अधिकारी भी पहुंचे. गोली लगने से गंभीर रूप से घायल फरीद को इलाज के लिए ट्रामा सेंटर भर्ती कराया गया है. फिलहाल पुलिस के अधिकारी मौके पर मौजूद हैं और छानबीन की जा रही है.
जिलाधिकारी पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे
जिलाधिकारी डॉ. सूर्यपाल गंगवार घटना की जानकारी पाकर पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे। मुलाकात के बाद डीएम ने कहा कि हत्याकांड के पीछे जमीन विवाद नहीं है। यह एक आपराधिक घटना है। विवाद के बारे में परिवार से बातचीत की है। लल्लन और सलीम भाई हैं। सलीम की बेटी को भी गोली मारी गई है।
जमीन को लेकर काफी लंबे समय से विवाद चल रहा
दोनों पक्षों के बीच जमीन को लेकर काफी लंबे समय से विवाद चल रहा था. मिली जानकारी के अनुसार डीएम का कहना है कि आरोपी और पीड़ित पक्ष की संयुक्त खाते की जमीन है. बंटवारे का मुकदमा हुआ, जिस पर साल 2012 में निर्णय आया. इसके बाद निगरानी साल 2018 में की गई. इसमें अपील भी कमिश्नरी में चल रही है. एक पक्ष की ओर से पैमाइश के लिए आवेदन किया गया था. शुक्रवार की तारीख पैमाइश के लिए तय हुई थी. हालांकि स्थगन आदेश की जानकारी मिलने पर लेखपाल ने पैमाइश से मना कर दिया था. दोनों पक्ष लौटे और घर पर किसी बात को लेकर उनका विवाद हो गया.
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