Sharda Sinha Making Statue From Sand: स्वर कोकिला के नाम से पहचान बनाने वाली लोकगायिका शारदा सिन्हा का 5 नवंबर को निधन हो गया. 72 वर्ष की शारदा सिन्हा (Sharda Sinha) के निधन की खबर ऐसे समय में आई जब छठ पूजा (Chhath Puja) की शुरुआत हुई. उन्होंने लोकआस्था के महापर्व छठ पर कई लोक और पारंपरिक गीत गाए. छठ पर्व के बीच इस दुखद खबर के सामने आने शोक की लहर दौड़ गई.पटना के छठ घाट पर बालू से उनकी प्रतिमा बनाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई. इस अद्भुत श्रद्धांजलि ने छठ घाट पर आने वाले लोगों को भावुक कर दिया. आज ही उनका अंतिम संस्कार पटना के गुलबी घाट पर राजकीय सम्मान के साथ संपन्न हुआ.
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अर्घ्य के पहले छठ घाट पर शोक
बताते चले कि, छठ पर्व के तीसरे दिन को पहले अर्घ्य के रूप में मनाया जाता है. इस दिन छठ व्रती गंगा घाट पर डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के लिए जुटे थे, लेकिन इसी बीच शारदा सिन्हा (Sharda Sinha) के निधन का शोक वातावरण में महसूस किया जा सकता था. छठ गीतों की धुन पर लोग उनकी मधुर आवाज को याद कर रहे थे. उनके निधन की खबर से लोग व्यथित नजर आए, क्योंकि शारदा सिन्हा का योगदान छठ महापर्व के लिए अविस्मरणीय है.
बालू से बनी शारदा सिन्हा की प्रतिमा
पटना के कंगन घाट पर साइन आर्ट के कलाकार मधुरेन्द्र कुमार ने गंगा के किनारे रेत से शारदा सिन्हा (Sharda Sinha) की प्रतिमा बनाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी. इस प्रतिमा के पास खड़े होकर लोग नम आंखों से शारदा सिन्हा को याद करते दिखे। छठ के लिए घाट पर आने वाले हर श्रद्धालु के लिए यह दृश्य बेहद भावुक कर देने वाला था. शारदा सिन्हा की मधुर आवाज को याद करते हुए श्रद्धालु उनकी प्रतिमा के सामने कुछ पल ठहरकर उन्हें अपनी भावनाएं अर्पित कर रहे थे.
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शारदा सिन्हा: छठ गीतों की पहचान
शारदा सिन्हा (Sharda Sinha) की आवाज बिहार के लोगों के लिए छठ महापर्व (Chhath Puja) का पर्याय बन चुकी थी. उनके गाए छठ गीत बिना पर्व अधूरा सा लगता था. उनकी सुरीली आवाज और गीतों की धुन सुनकर हर साल लोग छठ के महापर्व को महसूस करते थे. उनकी गीतों की गूंज हर घर में सुनाई देती थी और उनकी अनुपस्थिति का अहसास सभी को गहरे में खल रहा है. बिहार की इस बेटी और बहू ने अपने संगीत से लोगों के दिलों में खास जगह बनाई थी.
अंतिम क्षणों में भी संगीत से जुड़ी रही शारदा सिन्हा
शारदा सिन्हा (Sharda Sinha) के निधन के बाद उनका एक वीडियो भी वायरल हुआ, जिसमें वे अपनी अंतिम सांसों तक गाने की कोशिश कर रही थी. उनकी आवाज में वही खनक और मधुरता थी, जो हमेशा लोगों के दिलों को छूती आई है। उनकी यह अदम्य संगीत साधना उनके चाहने वालों के लिए प्रेरणास्रोत है. वीडियो में उनकी आवाज से यह महसूस होता है कि संगीत के प्रति उनका लगाव कितना गहरा था, भले ही वे शारीरिक रूप से तकलीफ में थीं, लेकिन उनकी संगीत साधना में कोई कमी नहीं आई.
शारदा सिन्हा ने अपने संगीत की विरासत छोड़ी
शारदा सिन्हा (Sharda Sinha) का छठ के अवसर पर इस दुनिया को अलविदा कहना छठ महापर्व मनाने वाले लोगों के लिए अत्यंत दुखद और भावुक कर देने वाला है. उनकी मधुर आवाज की कमी इस बार के छठ पर्व में हर किसी को महसूस हो रही है. उनकी रेत की प्रतिमा और छठ घाट पर उन्हें दी गई श्रद्धांजलि उनकी याद को हमेशा के लिए संजोए रखने का प्रतीक बनेगी. शारदा सिन्हा ने अपने संगीत से जो विरासत छोड़ी है, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए छठ पर्व का एक अमिट हिस्सा बनी रहेगी.