Pooja Khedkar News: केंद्र सरकार ने विवादों में घिरी ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर (Pooja Khedkar ) पर सख्त कार्रवाई करते हुए उन्हें पद से तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया है। यह फैसला आईएएस (परिवीक्षा) नियम, 1954 के नियम 12 के तहत लिया गया है, जिसके अंतर्गत केंद्र सरकार किसी भी आईएएस अधिकारी को सेवा से हटाने का अधिकार रखती है। पूजा खेडकर पर परीक्षा में अनियमितताओं और गलत तरीके से आरक्षण का लाभ लेने के आरोप हैं, जिसके चलते संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने भी उनकी उम्मीदवारी को पहले ही रद्द कर दिया था।
आईएएस से बर्खास्तगी का आदेश
केंद्र सरकार ने 6 सितंबर को आदेश जारी करते हुए पूजा खेडकर को भारतीय प्रशासनिक सेवा से हटाने का निर्णय लिया। यह निर्णय उन पर लगे आरोपों की गंभीरता को देखते हुए लिया गया। पूजा खेडकर पर आरोप था कि उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और विकलांगता कोटे का गलत तरीके से लाभ उठाया। हालांकि, खेडकर ने इन आरोपों को निराधार बताया है और कहा है कि वह निर्दोष हैं।
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यूपीएससी ने पहले ही रद्द कर दी थी उम्मीदवारी
पूजा खेडकर के खिलाफ की गई कार्रवाई केवल केंद्र सरकार तक ही सीमित नहीं है। संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने भी 31 जुलाई को उनकी उम्मीदवारी रद्द कर दी थी और उन्हें भविष्य में कोई भी सिविल सेवा परीक्षा देने से रोक दिया गया है। यूपीएससी के इस फैसले के बाद पूजा खेडकर ने इसे दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी है, जहां उन्होंने अपने खिलाफ लगे सभी आरोपों को गलत बताया है। खेडकर ने कोर्ट में दावा किया कि उन्होंने यूपीएससी को दी गई किसी भी जानकारी में कोई छेड़छाड़ या झूठी जानकारी नहीं दी है।
यूपीएससी ने 15,000 उम्मीदवारों की की थी जांच
पूजा खेडकर के मामले के अलावा यूपीएससी ने 2009 से 2023 के बीच आईएएस चयन प्रक्रिया से गुजरने वाले 15,000 से अधिक उम्मीदवारों की जांच की थी। इस जांच का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि किसी उम्मीदवार ने आरक्षण या अन्य कोटे का गलत लाभ तो नहीं उठाया है। इस विस्तृत जांच में सिर्फ पूजा खेडकर को ही दोषी पाया गया, जबकि अन्य किसी उम्मीदवार पर ऐसे आरोप नहीं मिले।
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आईएएस परीक्षा प्रणाली पर सवाल
पूजा खेडकर के इस मामले ने आईएएस परीक्षा प्रणाली की पारदर्शिता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। एक तरफ जहां आईएएस बनने की प्रक्रिया को सबसे निष्पक्ष और कठिन माना जाता है, वहीं इस तरह के मामले इससे जुड़ी कुछ खामियों की ओर इशारा करते हैं। क्या सिस्टम में मौजूद प्रक्रियाओं में सुधार की आवश्यकता है? या फिर ऐसे मामले भविष्य में बार-बार सामने आते रहेंगे? यह सवाल अब बहस का विषय बन गए हैं।
पूजा खेडकर के मामले ने स्पष्ट कर दिया है कि आईएएस जैसी प्रतिष्ठित सेवा में चयन प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता बेहद जरूरी है। यह घटना न केवल यूपीएससी की प्रतिष्ठा को धक्का पहुंचाती है, बल्कि उन उम्मीदवारों की मेहनत और लगन पर भी सवाल खड़े करती है, जो पूरी ईमानदारी और समर्पण के साथ इस परीक्षा में शामिल होते हैं। अदालत का फैसला इस मामले में अहम होगा, क्योंकि यह आने वाले समय में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए एक मिसाल पेश कर सकता है।