मजिस्ट्रेट कोर्ट ने आरोपित रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के बर्खास्त कॉन्स्टेबल चेतन सिंह चौधरी का नार्को परीक्षण की अनुमति देने से इनकार कर दिया। अपने आदेश में अदालत ने कहा कि चुप रहना आरोपित का मौलिक अधिकार है।
Jaipur Mumbai Express: चलती ट्रेन में चार लोगों की गोली मारकर हत्या करने के आरोपी बर्खास्त आरपीएफ कांस्टेबल चेतन सिंह चौधरी का नार्को परीक्षण कराने की अनुमति देने से मजिस्ट्रेट अदालत ने इन्कार कर दिया। बता दे कि बीते महीने 31 जुलाई को रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के एक सिपाही चेतन सिंह ने जयपुर मुंबई एक्सप्रेस में चार लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी थी। वही इस मैमले को लेकर अदालत ने कहा, ‘आरोपी ने ऐसे टेस्ट कराए जाने से मना किया है, चुप रहना उसका मौलिक अधिका है, हम उसके साथ जबरदस्ती नहीं कर सकते हैं।’ अदालत ने यह आदेश 11 अगस्त को जारी किया था।
क्या है पूरा मामला?
आरपीएफ का एक जवान चेतन सिंह अपने साथियों के साथ यात्रियों की सुरक्षा के लिए ट्रेन में तैनात था। जहां पर उसकी तबियत खराब होने की वजह से उसने अपने साथ चल रहे एएसआई से छुट्टी मांगी लेकिन एएसआई ने छुट्टी देने से मना कर दिया। इसके बाद आरोपी ने सुबह करीब पांच बजे सबसे पहले अपनी सीनियर की गोली मार कर हत्या कर दी। उसके बाद आरोपी ने दो बोगियों में जाकर एक समुदाय के तीन लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी।
मजिस्ट्रेट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का दिया हवाला…
अभियोजन पक्ष ने कहा था कि वह गंभीर अपराध करने का आरोप है और जांच पूरी करने के लिए नार्को एवं अन्य परीक्षण जरूरी हैं। चौधरी के वकील सुरेंद्र लांडगे, अमित मिश्रा और जयवंत पाटिल ने आवेदन का विरोध करते हुए कहा कि नार्को परीक्षण मौलिक अधिकारों का हनन है और बिना आरोपित की सहमति के इसे नहीं कराया जा सकता है।
अदालत ने 11 अगस्त को पारित आदेश में कहा, किसी आरोपी को केवल “सुचारू जांच” के लिए ऐसे परीक्षणों से गुजरने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है। पूरा आदेश शुक्रवार को उपलब्ध हो गया। सरकारी रेलवे पुलिस (जीआरपी) ने चौधरी को नार्को टेस्ट, ब्रेन मैपिंग और पॉलीग्राफ के अधीन करने के लिए बोरीवली मजिस्ट्रेट अदालत की मंजूरी मांगी थी।