Andhra Pradesh: तिरुपति बाला जी मंदिर के श्री वेंकटेश्वर मंदिर में 9 जनवरी से शुरू होने वाले “वैकुंठ द्वार दर्शन” के लिए टिकट वितरण में भारी अव्यवस्था के कारण भगदड़ मच गई, जिसमें अब तक 6 लोगों की मौत हो चुकी है और कई श्रद्धालु गंभीर रूप से घायल हुए हैं। यह हादसा उस समय हुआ जब हजारों श्रद्धालु टोकन लेने के लिए कतार में खड़े थे और केवल 91 काउंटर थे। इससे भीड़ बेकाबू हो गई और भगदड़ में कई लोग घायल हो गए।
Read More:Andhra Pradesh: एक पार्सल में छिपा रहस्य! शव के साथ मिली फिरौती की धमकी ने गांव में मचाई हलचल
हादसे पर प्रशासन पर उठे सवाल
तिरुपति बालाजी मंदिर में हुए दर्दनाक हादसे के बाद प्रशासन पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं। इस हादसे के बाद में यह एक गंभीर सवाल है कि… प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उचित इंतजाम क्यों नहीं किए। यह घटना इस बात को उजागर करती है कि प्रशासन ने पर्याप्त पूर्वानुमान और तैयारी नहीं की थी, जिससे बड़ी संख्या में लोग एक स्थान पर इकट्ठा हो गए और हालात नियंत्रण से बाहर हो गए।
प्रशासन ने घटना पर खेद किया व्यक्त
मंदिर प्रशासन ने इस घटना पर खेद व्यक्त किया और मुआवजे का वादा किया। उन्होंने यह भी बताया कि, सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की जाएगी और भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए कड़ी व्यवस्थाएं की जाएंगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया है, और पीड़ितों के परिवारों के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त की हैं।
क्या था मंदिर में मची भगदड़ की वजह?
तिरुपति मंदिर में मची भगदड़ की असली वजह टिकट वितरण में अव्यवस्था और भीड़ का अत्यधिक दबाव थी। 9 जनवरी को श्री वेंकटेश्वर मंदिर में विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण “वैकुंठ द्वार दर्शन” की शुरुआत होने वाली थी, और इसके लिए श्रद्धालु पहले से ही मंदिर परिसर में पहुंचने लगे थे। इस दर्शन के लिए टोकन प्रणाली के माध्यम से टिकट वितरण की योजना बनाई गई थी, लेकिन वितरण में खामियां और अव्यवस्था के कारण स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई।
भीड़ का अत्यधिक दबाव
अनुमान के मुताबिक, लगभग 4,000 श्रद्धालु टिकट लेने के लिए लाइन में थे, जबकि काउंटर की संख्या केवल 91 थी। इससे भीड़ का दबाव बढ़ गया, और कई लोग जल्द से जल्द टिकट पाने के लिए घबराए हुए थे। इस असंतुलन के कारण भीड़ का नियंत्रण मुश्किल हो गया और भगदड़ की स्थिति उत्पन्न हो गई।
टोकन प्रणाली में खामियां
श्रद्धालुओं को यह लगने लगा कि अगर वे देर करेंगे तो उन्हें टिकट नहीं मिलेगा। इस डर के कारण, कई श्रद्धालु 8 जनवरी से ही मंदिर पहुंचने लगे थे। इससे पहले से ही भारी संख्या में लोग मंदिर परिसर में इकट्ठा हो गए थे, जिससे स्थिति और गंभीर हो गई।
सुरक्षा और व्यवस्थाओं की कमी
तीव्र भीड़ और टिकट वितरण प्रणाली में गड़बड़ी के कारण भगदड़ मच गई। लोग इधर-उधर भागने लगे, और कई श्रद्धालु गिर पड़े, जिससे मौतें और गंभीर चोटें आईं। यह घटना सुरक्षा उपायों की कमी और भीड़ नियंत्रण में खामियों को दर्शाती है, जिनकी वजह से इस प्रकार की आपातकालीन स्थिति उत्पन्न हुई।