Nikita Porwal: मध्य प्रदेश के उज्जैन की रहने वाली निकिता पोरवाल (Nikita Porwal) ने फेमिना मिस इंडिया 2024 का ताज जीतकर न केवल अपने शहर का बल्कि पूरे देश का मान बढ़ाया है. लेकिन इस समय वह विवादों में घिरी हुई है. दरअसल, फेमिना मिस इंडिया 2024 (Femina Miss India 2024) का खिताब जीतने के बाद निकिता ताज पहनकर उज्जैन के महाकाल मंदिर (Mahakal Temple) में दर्शन करने पहुंची जिसके बाद एक नया विवाद खड़ा हो गया. मंदिर के पुजारी महेश शर्मा ने इस पर आपत्ति जताई है. उनका कहना है कि भगवान महाकाल को अवंतीका का राजा माना जाता है, और मंदिर की मर्यादा के अनुसार किसी भी व्यक्ति को उनके सामने सिर पर पगड़ी, टोपी या ताज पहनकर जाने की अनुमति नहीं होती. इसे मंदिर के नियमों और प्रोटोकॉल का उल्लंघन माना जाता है.
‘मंदिर में दर्शन करने के कुछ मर्यादा और प्रोटोकॉल’
निकिता पोरवाल (Nikita Porwal) के मंदिर के अंदर ताज पहनकर जाने पर महाकाल मंदिर (Mahakal Temple) के पुजारी महेश शर्मा ने कहा कि मंदिर में दर्शन करने के कुछ मर्यादा और प्रोटोकॉल हैं, जिनका पालन सभी को करना होता है. यहां एक विशेष ड्रेस कोड भी है, जो भगवान महाकाल के राजाधिराज की प्रतिष्ठा को बनाए रखने के लिए आवश्यक है. राजा के सामने सिर पर किसी भी प्रकार का आच्छादन, चाहे वह पगड़ी हो, टोपी हो या ताज, पहनकर जाना उचित नहीं माना जाता है. यह महाकाल मंदिर की परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, और इस मर्यादा का पालन मंदिर समिति द्वारा समय-समय पर कराया जाता है.
ताज पहनकर दर्शन से मंदिर की गरिमा पर असर
इसी कड़ी में आगे, पुजारी महेश शर्मा ने कहा कि मिस इंडिया बनने पर निकिता पोरवाल (Nikita Porwal) को जो ताज मिला, वह निश्चित रूप से गौरव की बात है. भगवान महाकाल से उन्हें और यश मिले, इसकी सभी कामना करते हैं. लेकिन उनके अनुसार, ताज पहनकर भगवान महाकाल के सामने आना मंदिर की गरिमा के अनुकूल नहीं है. उन्होंने सुझाव दिया कि यदि निकिता ताज को हाथ में लेकर भगवान महाकाल के सामने रखकर प्रार्थना करतीं, तो इससे उनका सम्मान और अधिक बढ़ जाता और मंदिर की मर्यादा भी बनी रहती.
मंदिर के पुजारी ने जताई आपत्ति
दरअसल, निकिता पोरवाल (Nikita Porwal) द्वारा महाकाल मंदिर (Mahakal Temple) में ताज पहनकर दर्शन करने पर पुजारी द्वारा जताई गई आपत्ति से मंदिर की मर्यादा और परंपराओं का मुद्दा फिर से चर्चा में आ गया है. महाकाल मंदिर की परंपराओं और ड्रेस कोड का पालन सभी भक्तों के लिए आवश्यक माना जाता है, और इसे बनाए रखने के लिए मंदिर समिति भी सजग है.