Budget 2024: केंद्र सरकार के बजट को लेकर बीते दिन से लगातार राजनीतिक गलियारों में बयानबाजी जारी है. इस बीच भारतीय किसान यूनियन (Bharatiya Kisan Union) के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने निराशाजनक बताया है. उनका कहना है कि एक बार फिर किसानों के हाथ खाली रह गए हैं. बजट में न तो एमएसपी गारंटी कानून का जिक्र है और न ही कर्जमाफी का कोई प्रावधान किया गया है. यह एक कागजी बजट है, जो किसान और मजदूर तक नहीं पहुंच पाएगा.
ग्रामीण भारत को सीमित बजट का आरोप
बताते चले कि राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र का किसान और मजदूर वर्ग बजट से बहुत सी उम्मीदें लगाए बैठा था, लेकिन उन्हें कोई राहत नहीं मिली. बजट का कुल आकार 48 लाख करोड़ रुपये है, लेकिन देश की अर्थव्यवस्था की सबसे महत्वपूर्ण धुरी और कृषि प्रधान देश होने के बावजूद किसानों के हिस्से में केवल 1.52 लाख करोड़ रुपये ही आए हैं. इससे यह प्रतीत होता है कि 65 प्रतिशत किसानों की आबादी को सरकार ने केवल तीन प्रतिशत बजट में ही सीमित कर दिया है. यह ग्रामीण भारत के लिए सबसे बड़ा भेदभाव है.
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एमएसपी गारंटी कानून की अनदेखी पर आलोचना
किसान वर्ग कई वर्षों से आंदोलनों के माध्यम से एमएसपी गारंटी कानून की मांग कर रहा है. उनका (Rakesh Tikait) मानना है कि अगर फसल बेचने के समय दाम की गारंटी होगी तो किसान उत्पादकता स्वयं बढ़ा देगा, लेकिन सरकार एमएसपी को गारंटी कानून का दर्जा नहीं देना चाहती है.
अन्य राहतों की अनुपस्थिति पर चिंता
इसके अलावा,राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने कहा कि संपूर्ण कर्जमाफी, कृषि उपकरणों से जीएसटी खत्म करने, बिजली कानून और प्रत्येक किसान परिवार को 10 हजार रुपये प्रति माह पेंशन देने की मांग का भी बजट में कोई प्रावधान नहीं किया गया है. इसके बजाय, सरकार बड़ी कंपनियों को बीज बनाने के नाम पर खेती में लाना चाहती है. इसी कारण सरकार ने भारत में आयात करने वाली कंपनियों पर पांच प्रतिशत तक का कर घटा दिया है.
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कॉरपोरेट लाभ और ग्रामीण लूट का आरोप
राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) का मानना है कि कॉरपोरेट को छूट देकर सरकार ने ग्रामीण परिवेश को लूटने की एक नई योजना बनाई है. इस बजट को वह सिर्फ एक कागजी आंकड़ा मानते हैं, जो वास्तव में किसान और मजदूर तक नहीं पहुंच पाएगा. इस प्रकार, राकेश टिकैत के अनुसार, बजट में किसानों और मजदूरों के लिए कोई विशेष राहत या सुविधा नहीं दी गई है, जिससे उनकी उम्मीदें पूरी तरह निराशा में बदल गई हैं.
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