Delhi News: दिल्ली के रोहिणी स्थित आशा किरण शेल्टर होम (Asha Kiran Shelter Home) में हाल ही में एक महीने के भीतर 14 लोगों की मौत का मामला सामने आया है। यह आशा किरण शेल्टर होम मानसिक रूप से विकलांग लोगों के लिए बनाया गया था, लेकिन अब यहां मौतों का सिलसिला चिंता का विषय बन गया है। जुलाई महीने में ही 14 मौतें हुई हैं, जो इस संस्था की बदहाल स्थिति की ओर इशारा करती हैं।
मंत्री आतिशी ने उठाया मामला: मजिस्ट्रेट जांच के आदेश
इस गंभीर मामले पर दिल्ली सरकार ने तुरंत एक्शन लिया है। दिल्ली सरकार की राजस्व मंत्री आतिशी ने मामले की जांच के लिए मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने जांच के लिए 48 घंटे का समय निर्धारित किया है और कहा है कि अगर सूचना सही पाई जाती है तो दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। मंत्री आतिशी ने यह भी कहा कि इस घातक लापरवाही के पीछे जिम्मेदार लोगों को बख्शा नहीं जाएगा।
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मौतों के वजह: लापरवाही और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं
शेल्टर होम में मौतों के कारणों में बच्चों की देखरेख में लापरवाही और पीने के पानी की ठीक व्यवस्था की कमी सामने आई है। दिल्ली सरकार ने इस बाबत नोटिस जारी कर जांच के निर्देश दिए हैं, जिसमें यह जानने की कोशिश की जाएगी कि आखिरकार इन मौतों की जिम्मेदारी किसकी है और क्या सही सुविधाएं उपलब्ध कराई गई थीं।
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मौतों का यह पहला मामला नहीं
यह पहली बार नहीं है कि आशा किरण होम में मौतों की खबरें आई हैं। राष्ट्रीय राजधानी के इस शेल्टर होम की स्थिति पर पहले भी कई बार सवाल उठ चुके हैं। 2017 तक, इस गृह में 600 से अधिक मौतें रिपोर्ट की जा चुकी थीं। सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार, 2015 में इस गृह में 350 की क्षमता के मुकाबले 900 से अधिक बच्चे रह रहे थे। इससे पहले भी इस शेल्टर होम में मौतों की घटनाएं होती रही हैं, जिनमें 2011 से 2017 के बीच 123 पुरुष और 73 महिलाओं की मौतें दर्ज की गई हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स और सीएजी की टिप्पणियां
सीएजी की रिपोर्ट ने भी इस गृह की स्थिति को गंभीर बताया है। 2001 से 2017 तक की अवधि में लगातार मौतों की घटनाओं ने इस संस्था की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पिछले कुछ वर्षों में शेल्टर होम में कई बार स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं और कुपोषण की वजह से मौतें हुई हैं। इस गंभीर मुद्दे की गहराई को देखते हुए, दिल्ली सरकार द्वारा की गई तत्काल कार्रवाई प्रशंसनीय है।
हालांकि, केवल मजिस्ट्रेट जांच से ही समस्या का समाधान नहीं होगा। इसके लिए एक व्यापक सुधार योजना की आवश्यकता है जो शेल्टर होम की स्थिति को सही कर सके और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके। सरकार को इस मामले की गहन जांच करनी चाहिए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए ताकि मानसिक रूप से विकलांग लोगों के लिए बने इन आश्रय स्थलों में उनकी सुरक्षा और देखभाल सुनिश्चित की जा सके।
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