उ0प्र0 (गोंडा): संवाददाता – भूपेन्द्र तिवारी
Gonda: भारत स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर से आजादी का अमृत महोत्सव मना रही है। देश के हर घरों में हर घर तिरंगे भी लगाए गए थे। इसके साथ ही देश आज फिर एक बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली है। वैज्ञानिकों ने चन्द्रयान -3 चांद पर पहुंचाकर देश के नाम एक और बड़ी उपलब्धि नाम कर दी है। लेकिन देश के कई हिस्सों में आज भी ऐसे सड़के बनी है। जहां पर लोगों का निकलना मुश्किल हो रहा है। सड़के ऐसी खस्ताहाल हो गई है जिन पर बड़े व छोटे वाहन निकलना तो दूर पैदल राहगीरों का निकलना मुश्किल हो रहा है। सड़को पर कीचड़ , पानी भरा रहता है। सड़को पर बड़े – बड़े गड्डे बने हो गए है। लेकिन सरकार टूटी पड़ी सड़को पर न तो डामर डलवाने का काम कर रही है। और न ही टूटी पड़ी सड़को की रिपेयरिंग की जा रही है।
टूटी पडी सड़के
इस गांव में नहर के किनारे लगभग 10 मजरे इस तरीके से है। जिसके घर जाने के लिए मोटरसाइकिल फोर व्हीलर तो छोड़िए पैदल जाने के लिए भी सोचना पड़ता है, क्योंकि वहां पर जो स्कूल कॉलेज हैं उसमें जो छोटे-छोटे ननिहाल बच्चे स्कूल जाते हैं। ऐसी स्थिति में उन बच्चों की गिरकर कभी हाथ टूट जाते है तो कभी चोंटे लग जाती है। जिसको लेकर ग्रामीणों ने कई बार संसद से लेकर विधायक तक शिकायत की, लेकिन प्रतिनिधि जो होते हैं वह वोट मांगने आते हैं तब उनको बड़े-बड़े वादे किए जाते है, कि तुम्हारे गांव के सड़के पक्की कर दी जाएगी लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं होता है।
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ग्रामीणों में फैला आक्रोश
गांव की सड़के न बनने से ग्रामीणों का गुस्सा आसमान पर छू रहा है। ग्रामीणों का यह भी कहना है कि अगर इसका कोई विकल्प नहीं निकला तो हम लोग तहसील से लेकर जिला मुख्यालय तक सड़क के विरोध में प्रदर्शन किया जाएगा। और गांव वाले प्रदर्शन करे ही क्यों न क्योंकि इस गांव में हजारों की आबादी है। दूसरा और कोई आने-जाने के लिए कोई रास्ता नहीं है। जिसको लेकर जिले के जो जनप्रतिनिधि जिम्मेदार अधिकारी है। उनको इस गांव की हालत नहीं दिखाई दे रही है।
ऐसे में गांव वालों का कहना है कि हमारे जो छोटे बच्चे हैं वह स्कूल जाने में भी असमर्थ है, क्योंकि रास्ता इतना खराब है कि बगल में नहर है बरसात के मौसम में रास्ता सही न होने से बच्चे फिसल कर गिर जाते है। जिससे बच्चों को काफी चोटे आती है। जिसको लेकर ग्राम वासियों ने कई बार जनप्रतिनिधियों से शिकायत कर चुके है, लेकिन उनको हर बार यही आश्वासन दिया जाता है कि आपका प्रस्ताव भेज दिया गया है। सड़क बनाने का प्रस्ताव पास भी हो गया है, लेकिन बजट नहीं आया है। जिससे कुछ दिन बाद यह सड़क की बदहाली दूर हो जाएगी। ग्रामीणों का कहना है कि ऐसा कहीं दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहा है। पिछले कई सालों से 10 मुजरे के लोग उसी में घुट घुट कर जी रहे है।