Chhattisgarh: सूरजपुर जिले के रामानुजनगर – वन परिक्षेत्र रामानुजनगर के ग्राम छिन्दिया के सर्कल नंबर 1780 से 1784 और मदनपुर के सर्कल क्रमांक 1791 एवं 1792 में सागौन, सरई के पौधे देखरेख के आभाव में बर्बाद हो रहे हैं। जंगल के हजारों पेड़ सूख चुके हैं, आग लगने से पेड़ो के तने-पत्ते जल गए. साथ ही सागौन के पेड़ों के ठूंठ बढ़ते जा रहे हैं। जबकि मदनपुर में 3 चौकीदार जंगल की देख रेख करने रखे गए हैं।
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क्षेत्र में तेजी से घट रहे सागौन के पेड़

पर्यावरण को संतुलित करने के लिए सरकार द्वारा बड़ी राशि खर्च कर पौधारोपण व वनों के संरक्षण पर किया जा रहा है. वही अन्य योजनाओं के तहत किसानों को भी प्रोत्साहन दिया जा रहा लेकिन इन दिनों विभाग के जिम्मेदारों की लापरवाही के चलते क्षेत्र में तेजी से घट रहे सागौन के पेड़ वन माफियाओं के गिरफ्त में नजर आ रहे हैं, जिसके चलते वन माफिया द्वारा अवैध रूप से क्षेत्र के जंगलों में धड़ल्ले से सागौन की लकड़ी के लिए सागौन के विशालकाय पेड़ काट कर उन पेड़ों से सिल्लियां बना कर राज्य के बाहर ले जाए जा रहे हैं।
छिन्दिया का जंगल इन दिनों लकड़ी माफियाओं के निशाने पर

मदनपुर, छिन्दिया का जंगल इन दिनों लकड़ी माफियाओं के निशाने पर है। जंगल में कहीं भी सागौन की लकड़ी के लिए कटे हुए सागौन के पेड़ों के ठूंठ आसानी से देखे जा सकते हैं। जंगल मे 80 प्रतिशत सागौन के पौधे सूख चुके है और अब उसमें दीमक लगने चालू हो गए। जिससे शासन को लाखों करोड़ों की चपत लग रही है। इतने पेड़ सूखने के बावजूद विभाग द्वारा कोई कार्यवाही नही की जा रही है बस पेड़ो को माफियाओं को काटने के लिए छोड़ दिया गया है।
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कार्रवाई नहीं होने से तस्करों के हौसले बुलंद

वन विभाग द्वारा जंगल की सुरक्षा के तमाम दावे किए जा रहे हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर नजारा कुछ और ही बयां करता है। वहीं जंगल के बीच में पहुंचो तो पास-पास में ही ठूंठ नजर आ रहे हैं। जंगल के आसपास रहने वाले लोगों ने बताया कि इन दिनों वन माफिया बेस कीमती सागौन के पेड़ों को काट कर ले जा रहे हैं। कार्रवाई नहीं होने से तस्करों के हौसले बुलंद हैं और बेखौफ होकर पेड़ों को काट रहे हैं। जंगल मे लगे आग से सरई पेड़ों के तने, पत्ते ओ सैकड़ो पौधे जल कर नष्ट हो गए। वन विभाग की लापरवाही से दिन ब दिन हरे-भरे खूबसूरत जंगल उजड़ रहे हैं। रेंजर साहब कहते है कि जानकारी नही है. जांच कराएंगे ये समझ से परे है जबके रेंजर मुख्यालय निवास करते है. जहां से जंगल की दूरी महज 5 से सात किलोमीटर की दूरी पर है.
चौकीदार देवप्रसाद ने क्या कहा ?

चौकीदार देवप्रसाद ने कहा कि हम लोग रात दिन देख-रेख करते हैं फिर भी पता नही कितने टाइम पेड़ काटे जा रहे है. खाना खाने के समय को छोड़कर हम अपना सारा समय यही दे रहे हैं। वन परिक्षेत्र अधिकारी रामानुजनगर रामचंद्र प्रजापति ने कहा कि मदनपुर के 1888 में आग लगी थी जिसे बुझा दिया गया है। बीट छिनदिया 1793 और मदनपुर में सागौन के पेड सूखने की शिकायत आयी है। दोनों सर्किल प्रभारी को निर्देशित किया गया है कि पेड़ों की गणना करले उच्च अधिकारियों को इसकी जानकारी दी जानी है। पेड़ों के ठूठ के बारे में जानकारी नही जाँच कराएंगे।
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