- आरक्षण के नियमों की अनदेखी का सदन में उठा था मामला
लखनऊ। केजीएमयू में विवादों से घिरी शिक्षक भर्ती अटक गई है। सदन में मामला उठने के बाद केजीएमयू प्रशासन ने दिसंबर में प्रस्तावित साक्षात्कार स्थगित कर दिया है। शिक्षक भर्ती में आरक्षण नियमों की अनदेखी के आरोप लगे हैं। इस संबंध में राजभवन ने जांच के आदेश दिए हैं। साथ ही भर्ती से संबंधित दस्तावेज तलब किए गए हैं।
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केजीएमयू में जुलाई 2022 में शिक्षकों के 141 पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला गया था। आरोप हैं कि विज्ञापन में आरक्षण के नियमों का पालन नहीं किया गया। इसको लेकर तमाम संगठनों ने अनुसूचित जाति आयोग में शिकायत की। किरकिरी से बचने के लिए केजीएमयू प्रशासन ने नया विज्ञापन जारी किया था। इसके बाद भी शिकायतों का सिलसिला खत्म नहीं हुआ। आरोप हैं कि आरक्षण के नियमों की लगातार अनदेखी हो रही है।
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केजीएमयू शिक्षक भर्ती में आरक्षण में गड़बड़ी
शिक्षक भर्ती में आरक्षण के नियमों की अनदेखी का मसला गुरुवार को सदन में उछला। मामले की जांच शुरू हो गई है। भर्ती से संबंधित दस्तावेज जुटाने की शुरुआत हो गई है। भर्ती संबंधित सभी कागज राजभवन के पास भेजकर केजीएमयू अपना पक्ष रखेगा। आनन-फानन में केजीएमयू प्रशासन ने कार्यपरिषद की बैठक स्थगित कर दी। दिसंबर में प्रस्तावित साक्षात्कार भी टाल दिए हैं। इससे पहले सांसद कौशल किशोर भी केजीएमयू शिक्षक भर्ती में आरक्षण में गड़बड़ी के गंभीर आरोप लगा चुके हैं। इस संबंध में उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर ट्वीट भी किया था।
अभ्यर्थियों का मारा जा रहा हक..
केजीएमयू प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह के मुताबिक शिक्षक भर्ती नियमों के तहत हो रही है। साक्षात्कार प्रक्रिया कुछ दिन के लिए स्थगित की गई है। जल्द ही नई तिथियां जारी की जाएंगी।अखिल भारतीय पिछड़ा वर्ग महासंघ अध्यक्ष रामचन्द्र पटेल का कहना है कि केजीएमयू शिक्षक भर्ती में अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों का हक मारा जा रहा है। आदेशों के बावजूद गलती सुधारने की दिशा में प्रयास नहीं किया गया। पूरे मामले की जांच होनी चाहिए। आरक्षण नियमों की अनदेखी करने वालों के खिलाफ महासंघ अभियान चलाएगा।