Unacademy : शैक्षिक प्रौद्योगिकी मंच अनएकेडमी (Unacademy) के टीचर को नौकरी से निकालने पर हंगामा खड़ा हो गया, जहां सोशल मीडिया पर कई लोगों ने अनएकेडमी के इस फैसले की काफी आलोचना की है। वही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने भी इस मुद्दे को लेकर ट्वीट किया, जिसके बाद अनएकेडमी के को-फाउंडर ने इस पर सफाई दी।
अनएकेडमी के सह-संस्थापक रोमन सैनी ने कहा कि करण सांगवान ने अनुबंध का उल्लंघन किया था और इसलिए कंपनी को उनसे अलग होना पड़ा. उन्होंने ट्वीट किया, ”हम एक शिक्षा मंच हैं जो गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।
सीएम केजरीवाल ने जताया आश्चर्य
करण सांगवान की बर्खास्तगी को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री से आश्चर्य जताते हुए पूछा कि क्या लोगों से एक शिक्षित व्यक्ति के लिए वोट मांगना अपराध है. सीएम ने आगे कहा कि अगर कोई अशिक्षित है तो मैं व्यक्तिगत रूप से उनका सम्मान करता हूं लेकिन जनप्रतिनिधि अनपढ़ नहीं हो सकते. यह विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का युग है, अनपढ़ जन प्रतिनिधि कभी भी 21वीं सदी के आधुनिक भारत का निर्माण नहीं कर सकते।
क्या कहा अनएकेडमी के को-फाउंडर ने
अनएकेडमी के सह-संस्थापक रोमन सैनी ने कहा कि करण सांगवान ने अनुबंध का उल्लंघन किया था और इसलिए कंपनी को उनसे अलग होना पड़ा. उन्होंने ट्वीट किया, ”हम एक शिक्षा मंच हैं जो गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। ऐसा करने के लिए हमने अपने सभी शिक्षकों के लिए एक सख्त आचार संहिता लागू की है, जिसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि हमारे शिक्षार्थियों को निष्पक्ष ज्ञान मिले।
उन्होंने आगे कहा कि हम जो कुछ भी करते हैं उसके केंद्र में हमारे शिक्षार्थी होते हैं, कक्षा व्यक्तिगत राय और विचार साझा करने की जगह नहीं है क्योंकि वे उन्हें गलत तरीके से प्रभावित कर सकते हैं। वर्तमान स्थिति में हमें करण सांगवान से अलग होने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि वह आचार संहिता का उल्लंघन कर रहे थे।
कांग्रेस का भी आया बयान
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने इस पूरे मामले को लेकर अनएकेडमी पर हमला बोला है, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर उन्होंने अनएकेडमी के संस्थापक और पीएम मोदी की एक सेल्फी को पोस्ट कर लिखा है कि जो लोग दबाव में झुक जाते हैं और धमकाया जाता है, वे कभी भी उन नागरिकों का पोषण करने में मदद नहीं कर सकते हैं जो इस दुनिया में सभी बाधाओं के खिलाफ खड़े होते हैं। ऐसे रीढ़हीन और कमजोर लोगों को एक शिक्षा मंच चलाते हुए देखकर दुख होता है।