Swati Maliwal Case: सुप्रीम कोर्ट ने आज आम आदमी पार्टी (AAP) की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल से मारपीट के मामले में सुनवाई की। इस मामले में अरविंद केजरीवाल के निजी सहायक बिभव कुमार पर आरोप है कि उन्होंने स्वाति मालीवाल के साथ बदसलूकी की थी। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसकी सुनवाई की और बिभव कुमार के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई की दिशा में आगे बढ़ने की संभावना जताई।
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दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को दी गई चुनौती

उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने इस संबंध में दिल्ली पुलिस (Delhi Police) को नोटिस जारी किया है, जिसमें उन्हें जमानत देने से इनकार करने के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई है। SC ने सुनवाई के दौरान कहा कि अपनी शारीरिक स्थिति के बारे में बताने के बाद भी बिभव कुमार ने उनके साथ मारपीट की। कोर्ट ने आगे कहा कि महिला से गलत बर्ताव पर शर्म नहीं आई।
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सुप्रीम कोर्ट ने की सख्त टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट पीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि हत्यारों और लुटेरों को जमानत मिल सकती है, लेकिन मालीवाल के मामले में बिभव कुमार पर जो आरोप हैं, हम उन्हें खुले में भी नहीं पढ़ना चाहते। जब मालीवाल ने बिभव को शारीरिक समस्या की वजह से मारपीट न करने की अपील की थी, तब भी ये व्यक्ति नहीं रुका! वह क्या सोच रहा था, सत्ता इसके सिर चढ़ गई थी?
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FIR तीन दिन बाद दर्ज कराई गई’-बिभव के वकील
अभिषेक मनु सिंघवी ने बिभव कुमार का पक्ष रखते हुए कहा कि करते एफआईआर तीन दिन बाद दर्ज कराई गई। मालीवाल थाने गई लेकिन बिना एफआईआर दर्ज कराए लौट गईं थीं। कोर्ट ने चार्जशीट के बारे में पूछा तो वरिष्ठ वकील सिंघवी ने कहा कि जिस आदेश को हमने चुनौती दी है उसके बाद चार्जशीट दाखिल की गई।
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स्वाति मालीवाल से मारपीट का आरोप
आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल की शिकायत पर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के पीए बिभव कुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। मालीवाल ने शिकायत में कहा था कि जब वह 13 मई को सीएम आवास मुख्यमंत्री केजरीवाल से मिलने पहुंचीं थी तो बिभव ने उनके साथ मारपीट की। मालीवाल की शिकायत पर पुलिस ने बिभव कुमार को 18 मई को गिरफ्तार किया था।

पुलिस का कहना है कि बिभव कुमार जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। बिभव ने जमानत के लिए 27 मई को ट्रायल कोर्ट का रुख किया था, लेकिन वहां से जमानत खारिज होने के बाद सत्र न्यायालय में अपील की। वहां से भी निराशा के बाद बिभव ने हाईकोर्ट का रुख किया, लेकिन हाईकोर्ट ने भी बिभव को राहत देने से इनकार कर दिया। अब हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ बिभव ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।