Swami Prasad Maurya: हमेशा अपने विवादित बयानों को लेकर सुर्खियों में रहने वाले समाजवादी पार्टी के महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपने पद से आज इस्तीफा दे दिया है. स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपने इस्तीफा देने के साथ सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को एक लंबा चौड़ा खत भी लिखा है. बता दे कि फिलहाल वे समाजवादी पार्टी के एमएलए बने रहेंगे. उन्होंने खत में अपने बयानों पर पार्टी के रुख को लेकर काफी ज्यादा नाराजगी जताई है.
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किसने मौर्य पर एक्शन लेने की अपील की ?
स्वामी प्रसाद मौर्य हमेशा से ही चर्चा में रहते है, अपने बयानों को लेकर. उनके बयानों को विपक्ष उन पर हमेशा ही हमलावर रहता है. लेकिन हाल ही में दिए गए एक बयान पर उन्ही के पार्टी के नेता उन पर हमलावर हुए थे. कई बार उनके बयानों से सपा और अखिलेश यादव भी असहज हुए हैं. रामचरितमानस को लेकर स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान से देशव्यापी विवाद हुआ था. सपा के अंदर भी पार्टी के कई नेताओं ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से स्वामी पर ऐक्शन लेने की अपील की थी.
अपनी ही पार्टी से नाराज हुए स्वामी प्रसाद मौर्य
लेकिन अखिलेश यादव के किसी भी तरह के एक्शन आने से पहले स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. मौर्य ने अखिलेश यादव को पत्र लिखते हुए आरोप लगाया कि यदि राष्ट्रीय महासचिव पद में भी भेदभाव है, तो ऐसे भेदभाव पूर्ण, महत्वहीन पद पर बने रहने का कोई औचित्य नहीं है. इसलिए समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पद से वो त्यागपत्र दे रहे हैं.
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खत में जाहिर की नाराजगी
आगे स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपनी खत में नाराजगी जाहिर करते हुए लिखा, “जबसे मैं समाजवादी पार्टी में सम्मिलित हुआ, लगातार जनाधार बढ़ाने की कोशिश की. सपा में शामिल होने के दिन ही मैंने नारा दिया था पच्चासी तो हमारा है, 15 में भी बंटवारा है. हमारे महापुरूषों ने भी इसी तरह की लाइन खींची थी. भारतीय संविधान निर्माता बाबा साहब डॉक्टर अंबेडकर ने बहुजन हिताय बहुजन सुखाय की बात की तो डॉ. राम मनोहर लोहिया ने कहा कि सोशलिस्टो ने बांधी गांठ, पिछड़ा पावै सो में साठ”, शहीद जगदेव बाबू कुशवाहा और रामस्वरूप वर्मा ने कहा था सौ में नब्बे शोषित हैं, नब्बे भाग हमारा है. इसी प्रकार सामाजिक परिवर्तन के महानायक काशीराम साहब का भी वही था नारा 85 बनाम 15 का.”
सपा अध्यक्ष का किया धन्यवाद
इसके आगे उन्होंने कहा, “किंतु पार्टी द्वारा लगातार इस नारे को निष्प्रभावी करने एवं वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में सैकड़ो प्रत्याशीयों का पर्चा व सिंबल दाखिल होने के बाद अचानक प्रत्याशीयों के बदलने के बावजूद भी पार्टी का जनाधार बढ़ाने में सफल रहे, उसी का परिणाम था कि सपा के पास जहां मात्र 45 विधायक थे वहीं पर विधानसभा चुनाव 2022 के बाद यह संख्या 110 विधायकों की हो गई थी. तद्नतर बिना किसी मांग के आपने मुझे विधान परिषद् में भेजा और ठीक इसके बाद राष्ट्रीय महासचिव बनाया, इस सम्मान के लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद.”
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