Surya Grahan 2025:साल 2025 का पहला सूर्य ग्रहण 29 मार्च को होगा, जो आंशिक सूर्य ग्रहण के रूप में पृथ्वी पर दिखाई देगा। हालांकि, यह ग्रहण भारत में नहीं देखा जाएगा, लेकिन यह कुछ अन्य देशों में एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करेगा, जिसे ‘डबल सनराइज’ कहा जा रहा है। यह घटना मुख्य रूप से अमेरिका, कनाडा, ग्रीनलैंड और आइसलैंड के कुछ हिस्सों में देखी जा सकेगी। इस दौरान सूर्योदय के समय सूर्य दो बार उगता हुआ दिखाई देगा, जो खगोलशास्त्रियों और खगोल प्रेमियों के लिए एक रोमांचक घटना है।
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कैसा लगता है सूर्य ग्रहण?

आंशिक सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच में आता है, लेकिन वह पूरी तरह से सूर्य को नहीं ढक पाता। इसके कारण सूर्य का कुछ हिस्सा ढक जाता है, और सूर्य की रोशनी में हल्की कमी आ जाती है। इस दौरान, यदि ग्रहण सूर्योदय के समय हो, तो एक दिलचस्प दृश्य उत्पन्न होता है। शुरुआत में सूरज का कुछ हिस्सा दिखाई देता है, फिर ग्रहण के कारण सूर्य हल्का सा मंद हो जाता है, और जैसे ही ग्रहण का असर कम होता है, सूरज फिर से अपनी पूरी चमक के साथ दिखाई देने लगता है। इसे ही ‘डबल सनराइज’ कहा जाता है।
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किन देशों में पड़ेगा ग्रहण का असर?
यह ग्रहण यूरोप, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका और आर्कटिक के विभिन्न हिस्सों से देखा जा सकेगा। हालांकि, भारत में यह ग्रहण दिखाई नहीं देगा, क्योंकि इसका पथ भारत से नहीं गुजरता। भारतीय समयानुसार, जब ग्रहण लगेगा, तब भारत में दिन हो रहा होगा। ऐसे में भारत के लोग इस ग्रहण का प्रत्यक्ष दृश्य नहीं देख पाएंगे। हालांकि, इसमें कोई निराशा की बात नहीं है, क्योंकि नासा और अन्य अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसियां इस घटना का लाइव प्रसारण करेंगी। आप इसे इंटरनेट, सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स या वेबसाइट्स के माध्यम से देख सकते हैं।
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वैज्ञानिकों के लिए महत्वपूर्ण अवसर
अगर बात करें, वैज्ञानिक दृष्टिकोण कि….. तो यह सूर्य ग्रहण बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी के बीच की सटीक स्थिति को समझने का एक बेहतरीन अवसर है। इस तरह के आंशिक ग्रहण खगोलशास्त्रियों के लिए अत्यधिक आकर्षक होते हैं, और इस दिन को लेकर विभिन्न वैज्ञानिक शोध और अध्ययन किए जा रहे हैं।इस सूर्य ग्रहण को लेकर वैज्ञानिकों का मानना है कि यह खगोलशास्त्र के क्षेत्र में महत्वपूर्ण जानकारी देने का एक अवसर है। आंशिक ग्रहण दुर्लभ होते हैं, और इनके अध्ययन से हम चंद्रमा की गति, सूर्य की गतिविधि और पृथ्वी पर उसके प्रभाव को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं।