Same Sex Marriages : सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच आज बड़ा फैसला सुनाएगी। क्या आज समलैंगिक विवाह को मिलेगी कानूनी मंजूरी चिलिए जानते है, इसके बारें में कि आज कोर्ट का फैसला आना है। बता दें कि समलैंगिक विवाह यानी सेम सेक्स मैरिज को कानूनी मान्यता देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में 20 याचिकाएं दाखिल की गई थीं। वहीं इन पर 7 दिन तक सुनवाई चली है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि केंद्र सरकार इसका हल निकालने के लिए एक कमेटी बनाने को तैयार है।
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इसके साथ चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली पांच जजों की पीठ ने मामले में 18 अप्रैल से सुनवाई शुरू की थी। उसके बाद 11 मई को पीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट्ट, न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा शामिल हैं।
सीजेआई ने कहा है कि..
बता दें कि Same Sex Marriages को लेकर सीजेआई ने कहा है कि स्पेशल मैरिज ऐक्ट को ख़त्म नहीं कर सकते लेकिन समलैंगिकों को पार्टनर चुनने का अधिकार है। आगे उन्होनें कहा कि – जीवन साथी चुनना जीवन का एक अहम हिस्सा है। साथी चुनने और उस साथी के साथ जीवन जीने की क्षमता जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार के दायरे में आती है। जीवन के अधिकार के अंतर्गत जीवन साथी चुनने का अधिकार है। LGBTQ+ समुदाय समेत सभी व्यक्तियों को साथी चुनने का अधिकार है।
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स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत लाया जाएगा..
कोर्ट ने इस मामले में फैसला देने के लिए 17 अक्टूबर यानी आज का दिन मुकर्रर किया है। बता दें कि समलैंगिक विवाह यानी सेम सेक्स मैरिज को लेकर सुप्रीम कोर्ट 17 अक्टूबर को सुबह 10.30 बजे फैसला सुनाएगा। वहीं पांच जजों की संविधान पीठ तय करेगी कि समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता मिलेगी या नहीं कोर्ट में दाखिल में याचिका के जरिए समलैंगिक विवाह को कानूनी मंजूरी देने की मांग की गई थी। याचिका में कहा गया था कि समलैंगिक विवाह को स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत लाया जाएगा।
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सरकार संसद में क्या कर सकती है?
सरकार ने कहा कि ये न केवल देश की सांस्कृतिक और नैतिक परंपरा के खिलाफ है बल्कि इसे मान्यता देने से पहले 28 कानूनों के 160 प्रावधानों में बदलाव करते हुए पर्सनल लॉ से भी छेड़छाड़ करनी होगी। सुनवाई के दौरान पीठ ने एक बार यहां तक कहा कि बिना कानूनी मान्यता के सरकार इन लोगों को राहत देने के लिए क्या कर सकती है? यानी बैंक अकाउंट, विरासत, बीमा बच्चा गोद लेने आदि के लिए सरकार संसद में क्या कर सकती है?
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5 जजों की बेंच ने की थी सुनवाई…
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस हिमा कोहली, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस रविंद्र भट्ट और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की संविधान पीठ ने इस मामले की सुनवाई की थी। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़, जस्टिस कौल, जस्टिस भट्ट और जस्टिस नरसिम्हा फैसला सुना रहे हैं। शुरुआत चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने की।
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क्या है पुरा मामला?
बता दें कि LGBT समुदाय के चार सदस्यों ने मिलकर 8 सितंबर को एक जनहित याचिका दायर की थी, जिसकी सुनवाई दिल्ली के चीफ जस्टिस एचसी डीएन पटेल और जज प्रतीक जालान की बेंच कर रही है। वहीं याचिकाकर्ताओं ने समलैंगिक विवाह को हिन्दू विवाह अधिनियम और विशेष विवाह अधिनियम के तहत मान्यता देने का अनुरोध किया है। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि जब देश में समलैंगिकता अपराध नहीं तो फिर शादी अपराध कैसे हो सकती है। याचिकाकर्ताओं के वकील राघव अवस्थी का कहना है कि जब LGBT समुदाय को सुप्रीम कोर्ट ने मान्यता दी है, तो फिर शादी को मान्यता न देना संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन होगा।