Supreme Court Diwali Fire Cracker Ban : दिल्ली एनसीआर समेत देश भर के अन्य शहरों में बढ़ते प्रदूषण के मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों को बैन करने का आदेश दिया ।बता दें कि दिवाली आते ही हर तरफ पटाखों की आवाज गूंजने लगती है। जिस वजह से प्रदूषण के मामले और भी बढ़ जाते है। इसे देखेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों को बैन करने के मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि हमने जो पिछले आदेश दिए थे वो केवल दिल्ली भर के नहीं थे।
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पटाखों को बैन करने का हमारा आदेश पूरे देश के लिए था, इसके साथ उन्होंने कहा, ‘हमने अपने पुराने आदेश में पटाखों पर पूर्ण रोक का मसला स्थानीय सरकार पर छोड़ा था, लेकिन हॉस्पिटल जैसी स्वास्थ्य के लिहाज से संवेदनशील जगहों पर पटाखे न चलाने, पटाखे चलाने की समय सीमा तय करने के लिए कहा था। वहीं एनसीआर में आने वाले राजस्थान के इलाकों के लिए दिल्ली-एनसीआर वाले नियम लागू होंगे। यानी पटाखों पर रोक रहेगी।
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अदालत ने कहा..
एख हफ्ते पहले से ही घर दुल्हन की तरह सजने लग जाते हैं। और लोग रिश्तेदारों से मिलते हैं और उनका अभिवादन करते हैं या परिवार में जश्न मनाते हैं। लेकिन इस बार भी फिर दिवाली थोड़ा बंदिशों वाली है। सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी उस समय की जब वह दिल्ली एनसीआर समेत देश भर के अन्य शहरों में बढ़ते प्रदूषण के मामले की सुनवाई कर रहे थे।
बता दें कि पंजाब में पराली जलाने, देश के बाकी हिस्सों में अन्य कारणों से प्रदूषण के स्तर में हो रही बढ़ोतरी को देखते हुए अदालत ने कहा, यह सिर्फ अदालत का काम नहीं है कि वह प्रदूषण को रोके, ये सभी की जिम्मेदारी है खासकर सरकार की सबसे ज्यादा जवाबदेही है।
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एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण के मद्देनजर कहा..
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण के मद्देनजर कहा, ‘सरकार पराली जलाना रोके। वह पराली जलाना कैसे रोकती है इसके बारे में वह नहीं जानते पर पंजाब सरकार पराली जलाना रोके। इसके साथ अदालत ने आगे कहा, ऐसा हर समय नहीं हो सकता है कि आप हमेशा राजनीतिक लड़ाई लड़ते रहें, और सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान और अन्य राज्य सरकारों को भी उनके पहले के आदेशों पर अमल करने को कहा है।
यह पूरे देश पर लागू..
बता दें कि कोर्ट ने आगे कहा, हमारा आदेश सिर्फ एक राज्य या दिल्ली एनसीआर तक सीमित नहीं है। यह पूरे देश पर लागू है। जिन राज्यों में भी प्रदूषण है वहां की राज्य सरकारें इसका समाधान स्थानीय स्तर पर करने के लिए कदम उठाएं। प्रदूषण का नियंत्रण करना सिर्फ राज्य सरकार का ही कर्तव्य नहीं है।