Supreme Court On Citizenship Act: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार, 19 सितंबर 2024 को भारतीय नागरिकता से संबंधित एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। इस फैसले में कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अगर कोई व्यक्ति किसी दूसरे देश की नागरिकता प्राप्त कर लेता है, तो उसकी भारतीय नागरिकता सिटीजनशिप एक्ट की धारा 9 के तहत स्वतः समाप्त हो जाती है। इस स्थिति को स्वैच्छिक नागरिकता (Citizenship) त्याग नहीं माना जाएगा। अदालत ने सिटीजनशिप एक्ट की धारा 8(2) और संविधान के अनुच्छेद 8 पर भी महत्वपूर्ण टिप्पणियां की हैं, जो भारतीय नागरिकता के पुन: प्राप्ति के मामलों में बेहद अहम साबित हो सकती हैं।
सिटीजनशिप एक्ट की धारा 8(2) पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने सिटीजनशिप एक्ट की धारा 8(2) के (Section 8(2) of the Citizenship Act) संबंध में भी अपना रुख स्पष्ट किया। कोर्ट ने कहा कि जो व्यक्ति अपनी मर्जी से भारतीय नागरिकता छोड़ते हैं, उनके बच्चे एक निश्चित अवधि के भीतर भारतीय नागरिकता प्राप्त करने का अधिकार रखते हैं। सिटीजनशिप एक्ट की धारा 8(2) के तहत, इन बच्चों के पास यह विकल्प होता है कि वे बड़े होकर एक साल के भीतर भारत की नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं। हालांकि, कोर्ट ने यह भी साफ किया कि यह सुविधा केवल उन्हीं लोगों के बच्चों के लिए उपलब्ध है, जिन्होंने अपनी इच्छा से भारतीय नागरिकता छोड़ी है, न कि उन व्यक्तियों के बच्चों के लिए जिन्होंने दूसरे देश की नागरिकता प्राप्त कर ली है।
सुप्रीम कोर्ट का रुख
कोर्ट ने इस फैसले के साथ एक और महत्वपूर्ण सवाल का उत्तर दिया, जो संविधान के अनुच्छेद 8 से संबंधित है। अदालत ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति संविधान लागू होने के बाद भारत के बाहर पैदा हुआ है, तो वह यह दावा नहीं कर सकता कि उनके पूर्वज (दादा-दादी) अविभाजित भारत में पैदा हुए थे और इस आधार पर वह भारतीय नागरिकता प्राप्त करने के हकदार हैं। यह फैसला जस्टिस अभय ओक और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने सुनाया, जिन्होंने मद्रास हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार की अपील पर सुनवाई की। कोर्ट ने यह साफ किया कि याचिकाकर्ता सिटीजनशिप एक्ट की धारा 8(2) के तहत भारतीय नागरिकता पाने का अधिकारी नहीं था।
मद्रास हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ केंद्र की अपील
इस पूरे मामले की जड़ें मद्रास हाई कोर्ट के एक फैसले से जुड़ी हैं, जिसमें सिंगापुर के एक नागरिक को सिटीजनशिप एक्ट की धारा 8(2) के तहत भारतीय नागरिकता प्राप्त करने की अनुमति दी गई थी। याचिकाकर्ता के माता-पिता सिंगापुर की नागरिकता लेने से पहले भारतीय नागरिक थे, इसलिए उसने संविधान के अनुच्छेद 8 के तहत भारतीय नागरिकता का दावा किया। मद्रास हाईकोर्ट ने इस दावे को स्वीकार कर लिया और याचिकाकर्ता को भारतीय नागरिकता की अनुमति दे दी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता सिटीजनशिप एक्ट की धारा 8(2) के तहत भारतीय नागरिकता पुनः प्राप्त करने के हकदार नहीं हैं।
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नागरिकता अधिनियम की धारा 5 और अनुच्छेद 8 पर SC का रुख
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ किया कि याचिकाकर्ता संविधान की धारा 5(1)(बी) या अनुच्छेद 8 के तहत भारतीय नागरिकता प्राप्त करने के लिए पात्र नहीं हैं। इसका सीधा अर्थ है कि यदि कोई व्यक्ति भारतीय नागरिकता छोड़ चुका है और किसी दूसरे देश की नागरिकता ले चुका है, तो उसके बच्चों के लिए भारतीय नागरिकता पुनः प्राप्त करना मुमकिन नहीं होगा। इस फैसले के साथ सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता से जुड़े कई जटिल सवालों पर रोशनी डाल दी है, जिनमें स्वैच्छिक नागरिकता छोड़ने और विदेशी नागरिकता लेने के बाद नागरिकता के पुनः प्राप्ति के अधिकार शामिल हैं।