Supreme Court on Delhi-NCR Air Pollustion: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण को लेकर सुनवाई हुई. इस दौरान कोर्ट ने कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) को सख्त फटकार लगाई है. कोर्ट ने सवाल उठाया कि पराली जलाने की घटनाओं को रोकने में नाकाम अधिकारियों के खिलाफ सीधी कार्रवाई करने के बजाय नोटिस जारी कर उनसे जवाब क्यों मांगा जा रहा है. जस्टिस अभय ओका ने कहा कि इस तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और ठोस कार्रवाई की आवश्यकता है.
पंजाब सरकार पर भी सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
आपको बता दे कि, सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पंजाब के एडवोकेट जनरल और चीफ सेक्रेट्री पर भी नाराजगी जाहिर की. जस्टिस अभय ओका ने पूछा कि केंद्र सरकार से ट्रैक्टर और मशीनों के लिए फंड मांगने का झूठा बयान देने का निर्देश किस अधिकारी ने दिया था. उन्होंने कहा, “हम तुरंत उस अधिकारी को अवमानना का नोटिस जारी करेंगे. चीफ सेक्रेट्री यह स्पष्ट करें कि एडवोकेट जनरल को किसने निर्देश दिए थे.”
पंजाब सरकार के बयान पर कोर्ट ने जताया असंतोष
पंजाब की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने जब अपनी बात रखनी चाही तो जजों ने उनकी बात पर असंतोष जताया. जस्टिस ने कहा, “राज्य सरकार की गंभीरता स्पष्ट नहीं हो रही है. पहले आपने कहा था कि किसी पर मुकदमा दर्ज नहीं हुआ और अब आप कह रहे हैं कि इस साल सिर्फ 5 केस दर्ज हुए हैं. क्या यह मुमकिन है?” कोर्ट ने पंजाब सरकार के पिछले हलफनामे का भी हवाला दिया, जिसमें स्पष्ट रूप से लिखा था कि पराली जलाने के मामले में किसी पर कोई मुकदमा नहीं चल रहा है.
कोर्ट ने निगरानी कमिटी की कार्यवाही पर उठाए सवाल
अभिषेक मनु सिंघवी के बयान के बाद अदालत ने यह भी सवाल उठाया कि पंजाब सरकार का हलफनामा यह स्पष्ट नहीं कर रहा है कि गांव स्तर पर निगरानी कमिटी कब बनीं और नोडल ऑफिसर कब नियुक्त हुए। कोर्ट ने यह भी जानना चाहा कि क्या सरकार ने कोई आदेश पारित किया है, और यदि किया है, तो इन कमिटियों ने अब तक क्या कार्रवाई की है. इस पर सिंघवी ने कहा कि लगभग 9000 लोग निगरानी में लगे हैं और वे इस पर पूरी जानकारी के साथ हलफनामा पेश करेंगे.
अदालत ने जताई निराशा, की सख्त कार्रवाई की मांग
जस्टिस अमानुल्लाह ने इस बात पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा, “अगर 9000 लोग निगरानी में थे, तो फिर सिर्फ 9 घटनाएं ही क्यों दर्ज की गईं? यह स्थिति बिल्कुल संतोषजनक नहीं है।” कोर्ट की सख्त टिप्पणियों से साफ है कि दिल्ली-एनसीआर के प्रदूषण के मामले में कोई भी ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी और दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की गई है.
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सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट संदेश दिया
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के दौरान साफ तौर पर यह संकेत मिल गया है कि पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए अब सख्त कदम उठाए जाएंगे. कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यदि राज्य सरकारें और संबंधित अधिकारी समय पर जिम्मेदारी नहीं निभाएंगे, तो उन्हें परिणाम भुगतने होंगे. दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण के कारणों की तह तक जाने के लिए कोर्ट का रुख स्पष्ट और सख्त है.