Pratapgarh Repoter- Ganesh Rai
Pratapgarh: प्रतापगढ़ लक्ष्मी नारायण मंदिर चिलबिला में श्रीमद्भागवत कथा के अंतिम दिवस श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर के पीठाधीश्वर परम पूज्य स्वामी मधुसूदनाचार्य जी ने सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि सुदामा जैसा सदगृहस्थ और संतुष्ट व्यक्ति कोई नहीं हुआ। शुकदेव जी राजा परीक्षित से कहते हैं हे राजन सुदामा बचपन से विरक्त थे। इंद्रियों में सुदामा की विरक्ति है, सुदामा का प्रशांत मन है और जितेंद्रिय हैं, सुदामा जी परमजितेंद्रीय हैं।
सुदामा जी ने जीवन में एक बार भी भिक्षा मांगी हो ऐसा किसी शास्त्र में तो नहीं लिखा है। दरिद्र वो है जो संतोषी नहीं है, जिसके मन में असंतोष है वही दरिद्र है। हमारे लाल जी कितने दयालु हैं कि सुदामा के दो मुट्ठी चावल के बदले 2 लोक प्रदान कर दिया। सुदामा इतने विरक्त हैं की अपनी पत्नी को देखकर उस महल में ही नहीं जाना चाह रहे हैं। भगवान को चतुर्भुज धारण करके पुनः आना पड़ा और बोले हैं मित्र यह नगरी तुम्हारी ही है।

भगवान श्री कृष्ण कहते हैं प्रेम से कोई जीव मुझे कुछ भी समर्पित करें मैं उससे बहुत मानकर स्वीकार करता हूं। जो जीव मुझे श्रद्धा से किसी वस्तु को समर्पित करता है उसकी भावना का महत्व है वही मुझे प्रिय है और भाभी जी ने उसी भावना से मुझे दो मुट्ठी चावल जो भेजे थे उसे प्राप्त करके यह नगरी मैंने तुम्हें प्रदान किया है।
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गोविंद की याद बनी रहना ही सबसे बड़ी संपत्ति
सुदामा ने कहा कि विपत्ति को विपत्ति नहीं कहते संपत्ति को संपत्ति नहीं कहते गोविंद को भूल जाना ही सबसे बड़ी विपत्ति है। गोविंद की याद बनी रहना ही सबसे बड़ी संपत्ति है भगवान ने कहा यह वैभव मैंने दिया है इसे मेरा प्रसाद समझकर आप इसका भोग करो ।यह वैभव आपको कभी अभिमान नहीं होने देगा। कलयुग में भगवान नाम संकीर्तन ही उत्तम उपाय है। श्रीमद्भागवत भगवान श्री कृष्ण का वांग्मय स्वरूप है। इसके श्रवण करने से जीव के सारे पाप कट जाते हैं।
इस अवसर पर धर्माचार्य ओम प्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामानुज दास ने व्यासपीठ पर विराजमान स्वामी जी को लाल जी का मंगल हो स्वामी जी का मंगल हो जयकारों के बीच माल्यार्पण करके अंगवस्त्रम एवं भगवान श्री जगन्नाथ जी का महाप्रसाद प्रदान किया। व्यासपीठ से आप को सम्मानित भी किया गया तत्पश्चात अनिरुद्ध रामानुज दास ने कहा कि आप सब धन्य हैं जिन्होंने परम पूज्य बैकुंठ वासी स्वामी श्री सीतारामाचार्य जी एवं बैकुंठ वासी परम पूज्य स्वामी वैकुंठाचार्य जी का दर्शन किया था। जिन्होंने पूर्व काल की इस अयोध्या नगरी के अंतर्गत श्री लक्ष्मी नारायण भगवान के मंदिर को स्थापित किया और हजारों लोगों को श्री वैष्णव बनाने का कार्य किया।

कार्यक्रम में मुख्य रूप से विष्णु लाल जायसवाल ओ एस डी महामहिम राज्यपाल राजस्थान बजरंग लाल जायसवाल बृजलाल जायसवाल मुकुंद लाल जायसवाल जय नारायण अग्रवाल घनश्याम मुनीम सुरेश चंद्र पांडे रामचंद्र उमर वैश्य नारायणी रामानुज दासी इंजीनियर अनामिका पांडे डॉ अवंतिका पांडे नीतू अग्रवाल गीता टाउ विजय टवेरा शशि भैया अंकित पांडे हर मंगल मिश्रा सहित अनेकों सैकड़ों की संख्या में पुरुष महिला वैष्णव भक्तजन उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन श्याम सुंदर टाउ रामानुजदास ने किया।