Aligarh संवाददाता : लक्ष्मन सिंह राघव
Aligarh News : रोशनी फ़ैलाने के लिए आवश्यक नहीं कि आप सूरज ही बनो, दीपक और जुगनू बनकर भी आप अपने हिस्से की रोशनी से वातावरण को रोशन कर सकते हैं।उक्त उद्गार जिला मजिस्ट्रेट इन्द्र विक्रम सिंह ने व्यक्त किए। वह शनिवार को मालवीय पुस्तकालय में संचालित सिविल सर्विसेज मार्गदर्शिका में अपना भविष्य संवारने में लगे युवाओं को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आप यथा सामर्थ्य अपने हिस्से की रोशनी फैलाकर राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दे सकते हैं। आवश्यकता दृढ़ संकल्पित होकर सही दिशा में प्रयास करने भर की है। उन्होंने कहा। कि जब तक जीवन तकलीफों से भरा ना हो, वह जीवन कैसा।
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तकलीफों और परेशानियों से कभी घबराना नहीं..

दुरुहतायें व्यक्ति को जीवन में नए मार्ग दिखाती हैं। एक व्यक्ति को जब आसानी से कुछ मिल जाता है। तो उसे जीवन भर कसक रहती है। कि वह कुछ कर नहीं पाया। वह इससे अच्छा भी कर सकता था। परंतु वहीं जब दूसरा व्यक्ति संघर्ष के बाद कुछ हासिल करता है। तो उसको हासिल हुई वस्तु की कीमत पता होती है। और फिर वह उसके साथ न्याय करता है, जिम्मेदारी दिखता है। जीवन की दुरुहतायें, तकलीफें व्यक्ति को बेहतर बनाती हैं। इसलिए तकलीफों और परेशानियों से कभी घबराना नहीं है।
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संकल्प से सिद्धि की ओर बढें..
इस दौरान उन्होंने भौतिक विज्ञानी स्टीफन हॉकिंग, क्रिकेट के उभरते सितारे रिंकू सिंह और हाल ही में रिलीज हुई फिल्म 12वीं फेल के उदाहरण भी प्रस्तुत किए।इन्द्र विक्रम सिंह ने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्र-छात्राओं को उनके उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि सूर्य उत्तरायण होने वाले हैं। यानी शुभ दिन शुरू होने के साथ ही यूपीएससी 2024 के आवेदन भी आने वाले हैं। आप सभी पूरी ऊर्जा के साथ संकल्प से सिद्धि की ओर बढें।
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लगभग 50 लाख से अधिक की लागत…

संवाद के दौरान उन्होंने अभ्यर्थियों द्वारा किए गए सवालों के उत्तर देते हुए उनकी जिज्ञासाओं को भी शांत किया। एक अभ्यर्थी की जिज्ञासा को शांत करते हुए उन्होंने बताया। कि लगभग 50 लाख से अधिक की लागत से जल्द ही ऐतिहासिक धरोहर मालवीय पुस्तकालय का कायाकल्प कराया जाएगा। अपने उद्बोधन के दौरान उन्होंने मा0 प्रधानमंत्री जी से प्रेरणा लेते हुए कभी-कभी श्रमदान करने की भी अपील की।
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छोड़कर यात्रा आरंभ करनी चाहिए..

उन्होंने यह भी कहा। कि जीवन में नकारात्मकता कभी नहीं लानी चाहिए, लेकिन मानव स्वभाव है। यदि असफल होने पर कभी मन में नकारात्मकता का भाव आता भी है। तो उसे ज्यादा देर ठहरने नहीं देना है।एक छात्रा के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि दर्द या तकलीफ सार्वजनिक करने की नहीं बल्कि बर्दाश्त करने के लिए होते हैं। जीवन में जब चारों तरफ अंधियारा हो तो सब कुछ ईश्वर पर छोड़कर यात्रा आरंभ करनी चाहिए। यात्रा ही आपका पुरस्कार है।
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जहां सख्ती करने की आवश्यकता होती है..
एक छात्रा ने कहा। कि उसके पापा कहते हैं। कि जिला मजिस्ट्रेट जिले का राजा होता है। क्या यह सच है? इस पर इन्द्र विक्रम सिंह ने कहा कि यह आधा सच है। पूरा सच यह है। कि लोकतंत्र में मा0 जनप्रतिनिधि नियम कानून, योजनाएं बनाते हैं। और जिला मजिस्ट्रेट लोक सेवक के तौर पर उनका संचालन करता है। पात्र एवं जरूरतमंदों को योजनाओं का लाभ दिलाता है। जहां सख्ती करने की आवश्यकता होती है वहां पर सख्ती भी दिखता है।