Ghibli Art Animation Founder Net Worth: सोशल मीडिया पर इन दिनों घिबली आर्ट (Ghibli Art) की धूम मची हुई है। अब तक, एआई प्लेटफॉर्म चैटजीपीटी का उपयोग करते हुए लोग अपनी तस्वीरों से घिबली स्टाइल एनिमेशन बना रहे हैं। यह सुविधा पहले प्रीमियम यूजर्स के लिए थी, लेकिन अब फ्री यूजर्स को भी यह सुविधा उपलब्ध हो गई है। इस नई ट्रेंड ने इंटरनेट पर कई तस्वीरें और वीडियो वायरल कर दी हैं, जिसमें लोग अपनी यादों और फिल्मी सीन को घिबली स्टाइल में दिखा रहे हैं।
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घिबली आर्ट का इतिहास

क्या आप जानते हैं कि घिबली आर्ट कहां से आया? इसका कनेक्शन जापान से है और इसे स्टूडियो घिबली के फाउंडर हायाओ मियाजाकी (Hayao Miyazaki) से जोड़ा जाता है। मियाजाकी को जापानी एनिमेशन की दुनिया का बादशाह माना जाता है। उन्होंने 25 से ज्यादा एनिमेटेड फिल्में और टीवी सीरीज बनाई हैं। उनकी सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म “स्पिरिटेड अवे” (Spirited Away) रही, जिसने दुनियाभर में 275 मिलियन डॉलर (2300 करोड़ रुपये से अधिक) की कमाई की।
स्टूडियो घिबली की सफलता और मियाजाकी की संपत्ति
स्टूडियो घिबली ने अपनी शानदार एनिमेशन फिल्मों से भारी मात्रा में पैसा कमाया है, जो इसे दुनिया के सबसे बड़े एनिमेशन स्टूडियो में से एक बनाता है। मियाजाकी के नेतृत्व में स्टूडियो ने कई हिट फिल्में बनाई, जो जापान की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्मों में शामिल रही। इसके अलावा, घिबली स्टूडियो प्रोडक्ट्स (जैसे खिलौने और कपड़े), DVD की बिक्री और ऑनलाइन स्ट्रीमिंग राइट्स से भी बहुत मुनाफा कमाता है। यही कारण है कि मियाजाकी एनिमेशन इंडस्ट्री के सबसे अमीर लोगों में से एक माने जाते हैं।
मियाजाकी की नेटवर्थ और घिबली स्टूडियो के आय के स्रोत

आपको बता दे कि, मियाजाकी की नेटवर्थ का अनुमान मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार करीब 50 मिलियन डॉलर (करीब 428 करोड़ रुपये) है। स्टूडियो घिबली के प्रोडक्ट्स और स्ट्रीमिंग राइट्स से होने वाली कमाई ने मियाजाकी की संपत्ति में काफी इजाफा किया है। यह साबित करता है कि घिबली स्टूडियो का कारोबार सिर्फ फिल्म निर्माण तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके अन्य व्यापारिक क्षेत्रों से भी अच्छी खासी कमाई होती है।
घिबली स्टाइल आर्ट की सोशल मीडिया पर बढ़ती लोकप्रियता
चैटजीपीटी द्वारा बनाई गई घिबली स्टाइल आर्ट की सोशल मीडिया पर बढ़ती लोकप्रियता के बावजूद, मियाजाकी इस नई तकनीक से खुश नहीं हैं। उनका मानना है कि इस तरह के एआई टूल्स से उनकी कला और सालों की मेहनत पर असर पड़ सकता है। मियाजाकी ने एआई को “जिंदगी का अपमान” तक करार दिया है। उनका कहना है कि एआई इंसानी भावनाओं को नहीं समझ सकता, जबकि पारंपरिक एनिमेशन में यह संभव है। इसके अलावा, मियाजाकी का यह भी मानना है कि एआई में इंसानी क्रिएटिविटी की कमी है, जो कि पारंपरिक कला में मौजूद होती है।
AI और पारंपरिक कला के बीच की बहस

इस बहस ने न केवल मियाजाकी को बल्कि कई अन्य कलाकारों को भी चिंतित किया है। उनका मानना है कि एआई से बनी कला पारंपरिक कला के मुकाबले कहीं ज्यादा यांत्रिक और भावनाओं से रहित होती है, जो कला के वास्तविक उद्देश्य को प्रभावित करती है। इस पर चर्चा बढ़ने के साथ ही यह भी देखा जा रहा है कि भविष्य में एआई और पारंपरिक कला के बीच की सीमा कैसे तय होगी।
घिबली आर्ट की बढ़ती लोकप्रियता और एआई द्वारा बनाई गई कला के बढ़ते प्रभाव ने कला की दुनिया में नई बहस छेड़ दी है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में एआई और पारंपरिक एनिमेशन के बीच किसे ज्यादा स्वीकार्यता मिलती है और क्या इससे मियाजाकी जैसे महान कलाकारों की कला पर असर पड़ेगा।
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