Subrata Roy: आज सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत रॉय का निधन हो गया हैं। 75 साल की उम्र में उन्होंने आखिरी सांस ली। सुब्रत रॉय ने अपनी मेहनत और लगन से सहारा ग्रुप को खड़ा किया था। उनके जीवन की कहानी कुछ फिल्मी कहानी जैसी हैं। पहले कभी सुब्रत रॉय स्कूटर पर नमकीन बेचा करते थे। उन्होंने अपने शुरुआती सफर की शुरुआत गली में समान बेचने से शुरु की थी। तब जाकर कहीं उन्होंने सहारा ग्रुप को इस मुकाम तक पहुंचाया।
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सहारा समूह ने एक बयान जारी करते हुए बताया
आपको बता दे कि सहारा समूह ने एक बयान जारी करते हुए बताया कि वे हाइपर टेंशन और डायबिटीज़ जैसी बीमारियों से लड़ रहे थे और कार्डियक अरेस्ट के कारण उनका निधन हुआ हैं। 12 नवंबर को स्वास्थ्य ख़राब होने के चलते उन्हें मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। आज उनका शव लखनऊ के सहारा शहर लाया गया हैं। जहाँ पर उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि दी जाएगी।
लोगों ने 10-20 रुपए रोजाना जमा किया
एक समय था जब सहारा का नाम सबके जुबान पर छाया हुआ था। एक ऐसा भी समय था जब ये ग्रुप देश की सबसे बड़ी प्राइवेट एयरलाइंस कंपनी से लेकर हॉकी और क्रिकेट की टीम का मुख्य स्पॉन्सर होता था। बता दे कि सहारा ग्रुप का कारोबार को-ऑपरेटिव फाइनेंस कंपनी से लेकर रीयल एस्टेट, डी2सी एफएमसीजी और मीडिया सेक्टर तक फैला है। एक समय था जब लोग सहारा में खाता खुलवाने के लिए बेचैन रहते थे। इतिहास में एक ऐसा दौर भी आया जब देश के करोड़ों लोगों ने 10-20 रुपए रोजाना जमा करके सहारा में अपना खाता खोला।
स्कूटर पर नमकीन बेचने का काम शरु किया
आपको बताते चले कि सुब्रत रॉय ने अपने शुरुआती सफक की शुरुआत अपने एक दोस्त के साथ मिलकर स्कूटर पर नमकीन बेचने का काम शरु किया। तब तो ये कोई भी नहीं जानता था कि एक दिन यही शख्स सहारा नाम को दो लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का एंपायर बना देगा। लेकिन कहते हैं न कि मेहनत करों फल मिलता ही हैं। कुछ ऐसा ही हुआ सुब्रत रॉय के साथ, उनकी भी मेहनत रंग लाई।
लोगों को छोटी-छोटी बचत पर अच्छा रिटर्न दिया
सहारा में लोगों से 10-20 रुपए रोज जमा करवाकर सुब्रत रॉय ने भारत के फाइनेंस सेक्टर के लिए एकदम नई मिसाल पेश की। जिससे लोगों को काफी ज्यादा फायदा हुआ। लोगों को उनकी छोटी-छोटी बचत पर अच्छा रिटर्न मिला। लोगों से जुटाए पैसों से दूसरे कारोबार खड़े किए। सहारा ने इतिहास में काफी ज्यादा नाम कमाया। एक समय ऐसा आया जब सहारा ग्रुप रेलवे के बाद देश का दूसरा सबसे बड़ा एम्प्लॉयर बना। ऑफिस और फील्ड को मिलाकर सहारा के अंब्रेला तले काम करने वाले एम्प्लॉइज की संख्या 12 लाख तक पहुंच गई। जिसको कोई भी प्राइवेट कंपनी आज तक देश में ये आंकड़ा नहीं छू पाई है। लेकिन ऐसा करने वाली कंपनी सिर्फ सहारा बनी।
दो कुर्सी और एक मेज के साथ शुरू हुई ये कंपनी
नमकीन बेचने के बाद सुब्रत रॉय ने कुछ और भी ज्यादा ऊंचा करने का सोचा तो उन्होनें साल 1978 में अपने दोस्त के साथ मिलकर चिटफंड कंपनी की शुरूआत की। जो कि बाद में सहारा का अनोखा को-ऑपरेटिव फाइनेंस बिजनेस बना। सुब्रत रॉय ने बहुत ही ज्यादा संघर्ष करने के बाद सहारा को खड़ा किया था। एक कमरे में दो कुर्सी और एक मेज के साथ शुरू हुई ये कंपनी देखते ही देखते पूरे देश में मशहूर हो गई। इतना मशहूर हुई कि हर शहर हर गांव अपनी पहुंच बढ़ाती गई। मध्यम वर्ग से लेकर निचले तबके लोगों ने सहारा पर पूरा भरोसा जताया और सहारा के पास पैसों का एक बड़ा पूल जमा होता गया।
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इस कंपनी की सबसे बड़ी यूएसपी
सुब्रत रॉय ने अपनी सोच से हर गरीब तक अपनी स्कीम को पहुंचाया। सुब्रत रॉय के सहारा फाइनेंस मॉडल को गरीब और मध्यम वर्ग ने हाथों हाथ लेना शुरु किया। यही इस कंपनी की सबसे बड़ी यूएसपी थी कि जिसके पास जितना भी पैसा है वो अपने खाते में जमा कर सकता है। उनके इसी मॉडल ने फाइनेंशियल इंक्लूजन के लिए एक नई परिभाषा तय की। इस नो मिनिमम लिमिट डिपॉजिट की वजह से गरीब से गरीब आदमी भी सहारा में खाता खुलवाने लगा।
सहारा ग्रुप का बिजनेस हर सेक्टर कर फैला
सुब्रत रॉय काफी आगे तक सोचते थे। यही वजह थी कि सहारा ने एक बहुत बड़ा मुकाम हासिल किया। सहारा ग्रुप ने स्पोर्ट्स टीम को स्पॉन्सर करना शुरू किया। इसके साथ में ही सहारा अलग अलग सेक्टर में अपना हाथ आजमाने लगा। सहारा ग्रुप ने एयरलाइंस सेक्टर में भी हाथ आजमाया, हालांकि बाद में उस बिजनेस को बेच दिया। इसके अलावा सहारा ग्रुप का बिजनेस रीयल एस्टेट सेक्टर, टाउनशिप बनाने, मीडिया और एंटरटेनमेंट, हेल्थ केयर, एजुकेशन, होटल इंडस्ट्री, इलेक्ट्रिक व्हीकल, डी2सी एफएमसीजी और टेक्नोलॉजी जैसे सेक्टर तक फैला हुआ है।
सुप्रीम कोर्ट में कार्रवाई का सामना किया
कहते हर बिजनेस में फायदा भी होता हैं और नुकसान भी, तो सहारा के सामने भी एक समय में मुसीबत आई। सहारा ग्रुप के सामने समस्या तब शुरू हुई, जब सेबी ने उसे धन की हेर-फेर के मामले में दबोच लिया। इसके चलते सुब्रत रॉय को सुप्रीम कोर्ट में कार्रवाई का सामना करना पड़ा और 2 साल से भी ज्यादा वक्त जेल में काटना पड़ा। इसी के साथ सहारा के पतन की दास्तान लिखनी शुरू हो गई।