Modi 3.O: आप सब जानते हैं कि नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री का पद भार संभाल लिया हैं। शपथ कार्यक्रम 9 जून को सफलतापूर्वक संपन्न हुआ था। अगर हम पुराना इतिहास उठा कर देखें तो तीन बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेकर मोदी जी नेहरू जी की बराबरी कर चुके हैं। शपथ समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के साथ उनके 71 मंत्रियों ने भी शपथ ली थी। 71 मंत्रियों के अंदर 30 कैबिनेट मंत्री शामिल थे।
इसके अलावा इसमें कुछ राज्य मंत्री और कुछ स्वतंत्र प्रभार मंत्री भी शामिल थे। शपथ समारोह में यह 31, 36, 05 का आंकड़ा निकलकर सामने आया है। जिसपर जनता द्वारा यह कयास लगाए जा रहे थे कि एनडीए गठबंधन में जो महत्वपूर्ण पार्टियां है जैसे जदयू, तेलुगू दशम, शिवसेना इनमें से कई मंत्रियों को कुछ महत्वपूर्ण विभाग दिए जाएंगे।
लेकिन शपथ समारोह के बाद सोमवार को जिस प्रकार से विभागों का वितरण किया गया है, वह वैसे ही है जैसे हम सभी को मोदी के पहले और दूसरे कार्यकाल में भी देखने को मिला था और वही दुहराव फिर से देखने को मिला है। यानी कि कई महत्वपूर्ण पद वापस से उन्हीं मंत्रियों को दे दिए गए हैं। जिसके लिए बाकी पार्टियों के नेता आस लगाए बैठे थे। अब पद वितरण के बाद भाजपा (BJP) अपने ही सहयोगियों से कहीं ना कहीं डरी हुई है। क्योंकि ये वही सहयोगी है जिन्हें विपक्षीय दल के बहुत से लोग दाने डाल रहे थे कि उन्हें अच्छा पद दिया जाएगा। यहां तक पीएम पद का भी लालच दिया गया। लेकिन वह सभी भाजपा के साथ रहे।
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गठबंधन टूटने के बाद कैसे चलेगी मोदी सरकार?
इन सब बातों को अगर ध्यान से देखा जाए तो इसे देखकर यह कयास लगाए जा सकते हैं कि अगर कुछ समय बाद एनडीए गठबंधन टूट कर बिखर गया तो आने वाले इन 5 सालों में मोदी सरकार कैसे चलेगी? हाल ही में सोमवार की शाम को सभी नेताओं को उनका विभाग वितरित कर दिया गया है।
जिसमें से अधिकतर लोगों के पास उनका पुराना ही विभाग उन्हें वापस दिया गया है। इसमें प्रमुखता से अमित शाह को गृहमंत्री, राजनाथ सिंह को रक्षा मंत्री, नितिन गडकरी को सड़क परिवहन मंत्रालय, जेपी नड्डा को स्वास्थ्य मंत्रयालय दिया गया है। यह जो महत्वपूर्ण की कीपॉइंट्स वाले पद वापस से उन्हीं को वितरित कर दिए गए जिन्हे NDA alliance के द्वारा सोचा जा रहा था कि उन्हें मिलेगा। यहां तक की शिवसेना सरकार का मनना था कि सड़क परिवहन मंत्रालय और राष्ट्र मार्ग से जुड़े सभी विभाग उन्हें दे दिए जाएं।
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विपक्षी दलों ने नीतीश कुमार पर कसा तंज
वहीं तेलुगू दशम और जदयू पूरा प्रयास कर रही थी कि वित्त मंत्रालय और गृह मंत्रालय उनके पास आ जाए जो कि ऐसा नहीं हो पाया। जिससे कहीं ना कहीं यह साफ़ जाहिर होता है कि भाजपा अपने हिसाब से सरकार चलाने का प्रयास कर रही है। अगर वही हम वितरित हुई विभागों की सूची पर नजर दौड़ाए तो 72 लोगों के पद वितरण में भाजपा के 61 लोगों को और सहयोगी दल के 11 लोगों को ही शामिल किया गया है।
इन्हीं सब बातों को लेकर राजनीतिक माहौल काफी गर्मी हुआ है। जिस पर विपक्ष अपनी रोटियां सेक रहा है। हाल ही की सुर्ख़ियों के ऊपर नजर डाली जाए तो बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर विपक्षी दलों ने तंज कसते हुए यहां तक कह दिया कि आपको तो झुनझुना मंत्रालय पकड़ा दिया गया है। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग जैसे अति महत्वपूर्ण विभागों को अपने पास रखा हैं। इन सब बातों पर अगर गौर करे तो लगता हैं भजापा का विजन साफ है कि जिसे जाना है वह जा सकता है।
अगर 2026 में फिर से चुनाव कराने पड़े तो वो भी करा लिया जाएगा। पूरी लिस्ट को देखा जाए तो जदयू की ललन सिंह को पंचायती राज का विभाग दिया गया है और शिवसेना की पार्टी को भी एक पद दिया गया है। तेलगु दशम पार्टी में दो लोगों को पद भार दिया गया है। परंतु सारे प्रमुख पद वित्त मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय, गृह मंत्रालय सभी फिर से उन्हीं सब मंत्रियों को दिया गया जिनके पास पहले मोदी 1.0 2.0 की सरकार में था।
जाहिर सी बात है यह सभी प्रमुख पद हैं और यह हमेशा से चर्चा में रहते हैं। वित्त मंत्रालय हो पिछले साल से लेकर अभी तक की अपनी जीएसटी और टैक्स को लेकर सुर्खियों में रहा था। रक्षा मंत्रालय हमेशा से ही अपने डिफेंस एक्सपो को लेकर सुर्खियों में रहता है। यह सब वह मंत्रालय हैं जो एक बड़ा बजट लेकर चलते हैं।
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किसे मिलेगा स्पीकर पद?
अब आने वाले दिनों में 20 जून को स्पीकर पद का चुनाव किया जाएगा। तेलुगु दशम पार्टी इसके लिए पूरा प्रयास कर रही है और उन्हें पूरी उम्मीद है कि शायद उन्हें या पद दिया जाए। अगर यह भी नहीं हो पता है तो इससे यह साफ जाहिर होता है कि भाजपा को इस गठबंधन के टूटने या बनने से खास कोई फर्क नहीं पड़ता है।
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क्या पीएम मोदी के पास है प्लान बी
अगर इन सब वजहो से पार्टी टूटती भी है या गठबंधन टूटता भी है तो 2026 में संभवता फिर से चुनाव हो सकते हैं। क्योंकि अगर सरकार इस तरीके के फैसले ले रही हैं तो इससे हम अंदाज़ा लगा सकते हैं कि जरूर भाजपा कोई ना कोई प्लान बी लेकर चल रही है। उन्होंने आने वाले समय में सरकार चलाने का कोई अलग विकल्प तैयार करके रखा है।