Muslim Marriage Act:असम सरकार ने UCC के तरफ अपना पहले कदम आगे बढ़ाया है, सीएम हेमंत बिस्वा की कैबिनेट ने एक अहम फैसला लिया है, हेमंत बिस्वा की कैबिनेट ने मुस्लिम मैरिज और डिवोर्स एक्ट 1930 को खत्म करने का फैसला किया है, वहीं कैबिनेट से इस प्रस्ताव को मंदूरी भी मिल गई है। वहीं इस फैसलो को लेकर समाजवादी पार्टी के नेता और सांसद एसटी हसन ने बड़ा बयान दिते हुए कहा है कि -” सरकार के ऐसे फैसले असल मुद्दों से ध्यान भटकाने का एक प्रयास है।”
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“मुसलमान शरिया और कुरान के हिसाब से ही चलेगा”
दरअसल इस एक्त के तहत अब सभी शादियां स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत की जाएंगी, राज्य में अब मुस्लिम विवाह और तलाक का रेजिसेट्रेशन कराना संभव नही होगा। इस दौरान सांसद एसटी हसन ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि- “सरकार कानूनों में बदलाव कर रही है। लेकिन इसका कोई असर नहीं पड़ेगा। मुसलमान शरिया और कुरान के हिसाब से ही चलेगा। हम हजारों वर्षों से इन कानूनों को मानते आ रहे हैं और आगे भी मानते रहेंगे।” सपा नेता ने कहा कि आप कानूनों में बदलाव करके यह नहीं कह सकते कि हिंदू शवों को जलाने की जगह दफनाना शुरू कर दे। या मुसलमान निकाह की जगह कुछ और तरीका अपना ले। सभी धर्मों के अपनी-अपनी परम्पराएं हैं। यह साफ़-साफ़ लोगों के धार्मिक अधिकारों में दखल है।”
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कानून में क्या हुआ बदलाव?
इस एक्त को लेकर पर्यटन मंत्री बरुआ ने कहा कि-” आज के इस फैसले के बाद असम में अब इस कानून के तहत मुस्लिम विवाह और तलाक को पंजीकृत करना संभव नहीं होगा। हमारे पास पहले से ही एक विशेष विवाह अधिनियम है और हम चाहते हैं कि सभी विवाह इसके प्रावधानों के तहत पंजीकृत हों। मंत्री जयंत मल्ला बरुआ ने बताया कि असम में वर्तमान में 94 अधिकृत व्यक्ति हैं जो मुस्लिम विवाह और तलाक का पंजीकरण कर सकते हैं। लेकिन कैबिनेट के फैसले के साथ, जिला अधिकारियों द्वारा इसके लिए निर्देश जारी करने के बाद उनका अधिकार समाप्त हो जाएगा।