UP News: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव आजम खान (Azam Khan) को एक बार फिर कोर्ट से राहत मिली है। विशेष न्यायाधीश एमपी-एमएलए मजिस्ट्रेट ट्रायल कोर्ट ने आचार संहिता उल्लंघन (code of conduct violation) के एक मामले में आजम खान को बरी कर दिया है। अदालत ने साक्ष्य के अभाव के चलते आजम खान को इस मामले में निर्दोष मानते हुए सभी आरोपों से मुक्त कर दिया।
क्या था मामला?
इस मामले का संबंध 2019 के लोकसभा चुनाव से है। आरोप था कि सपा के प्रमुख नेता आजम खान ने चुनावी आचार संहिता का उल्लंघन करते हुए अपनी कार को राजकीय रज़ा स्नातकोत्तर महाविद्यालय के मतदान केंद्र के अंदर ले जाया। नियमों के अनुसार, मतदान बूथ से 200 मीटर की दूरी पर वाहन छोड़ने का प्रावधान था। यह मामला गंज थाने में तत्कालीन एसडीएम पीपी तिवारी द्वारा दर्ज कराया गया था।
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गवाहों की कमी के चलते बरी हुए आजम खान
कोर्ट में इस मामले की सुनवाई के दौरान, अभियोजन पक्ष आरोपों को साबित करने में पूरी तरह विफल रहा। पुलिस द्वारा दाखिल चार्जशीट के बावजूद, अभियोजन पक्ष ने ठोस साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किए। इसके परिणामस्वरूप, अदालत ने 13 अगस्त को दोनों पक्षों की बहस के बाद बुधवार को आजम खान को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया।
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आजम खान के वकील ने दी प्रतिक्रिया
आजम खान के वकील मोहम्मद मुरसलीन ने इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह मुकदमा पूरी तरह से झूठा था। उन्होंने कहा कि तत्कालीन एसडीएम पीपी तिवारी द्वारा दर्ज कराए गए इस मामले में 5 गवाह पेश हुए, लेकिन अभियोजन पक्ष आरोप साबित करने में नाकाम रहा। वकील ने अदालत के फैसले को न्याय की जीत बताया और कहा कि यह एक तरह से उनके मुवक्किल की बेगुनाही को साबित करता है।
राजनीतिक ड्रामा का नया मोड़
इस निर्णय के साथ ही आजम खान की राजनीतिक यात्रा में एक नया मोड़ आया है। यह मामला समाजवादी पार्टी और उनकी राजनीतिक रणनीतियों को लेकर एक और अध्याय जोड़ता है। न्यायपालिका द्वारा आजम खान को बरी किए जाने के बाद, राजनीतिक गलियारों में इस फैसले की गूंज सुनाई दे रही है और इससे उनके समर्थकों में खुशी की लहर है। सपा नेता आजम खान को कोर्ट से राहत तो मिली यह है मगर अब देखना यह है कि भारतीय राजनीति में किस तरह से विभिन्न नेताओं के भविष्य को प्रभावित कर सकती हैं।