लखनऊ संवाददाता- विवेक शाही
लखनऊ: समाज कल्याण विभाग अमृत काल के इस वित्तीय वर्ष को ‘विशेषज्ञता वर्ष’के रुप में मनायेगा. विभाग को अमृत काल में आगे बढ़ने के लिए ग्लोबल स्तर की विशेषज्ञता की जरूरत होगी, जिसके लिए राजनैतिक रूप से चयनित मंत्री, मंत्रालय में कार्य करने वाले आईएएस व अन्य अधिकारी और निदेशालयों व कॉरपोरेशनों में कार्य करने वाले विशेषज्ञ, अधिकारी या कर्मी, प्रत्येक को अपनी विशेषज्ञता का विकास करना होगा, जिसके लिए निदेशालय समाज कल्याण में मंत्री असीम अरुण जी की अध्यक्षता में बैठक हुई, जिसमें वीसी के माध्यम से समस्त जनपदीय अधिकारियों ने प्रतिभाग किया।
जिसमें विशेषज्ञता के स्तम्भ चिन्हित किए गए, विशेषज्ञता विकसित करने और उसका उपयोग करने के साथ ही संबंधित को प्रोत्साहन देने का निर्णय लिया गया। जिसके अंतर्गत विभागीय अधिकारी व मंत्री अपनी रूचि के अनुरूप सामाजिक क्षेत्र के किसी एक स्तम्भ को चुन कर उसमें विशेषज्ञता हासिल करेंगे। विशेषज्ञता के लिए अधिकारी देश भर के किसी भी संस्थान से प्रशिक्षण ले सकते हैं। ‘विशेषज्ञता वर्ष’ मानाने को लेकर विस्तृत कार्ययोजना क्या होगी, इसके लिए असीम अरुण ने समाज कल्याण निदेशक को पत्र लिखा है।
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रूचि का क्षेत्र चुन सकते हैं अधिकारी
बैठक में निर्णय लिया गया कि वरिष्ठ नागरिकों, ट्रांसजेंडर, वंचित वर्गों के शिक्षा के प्रबंध या नीतियाँ, वंचित वर्गों के लिए स्वावलंबन सम्बन्धी नीतियाँ, CSR, अफर्मेटिव एक्शन, सामाजिक कार्य सम्बन्धी नीतियों का निरूपण आदि विषयों को विशेषज्ञता के लिए रखा गया है. कोई भी अधिकारी अपनी रूचि के अनुसार एक क्षेत्र को चुन कर उसमें विशेषज्ञता हासिल कर सकता है. विभागीय मंत्री असीम अरुण ने बताया कि विशेषज्ञता के लिए अधिकारी स्व-अध्ययन के साथ राष्ट्रीय स्तर के संस्थाओं में प्रशिक्षण भी प्राप्त कर सकते हैं. अधिकारी ऑन लाइन कोर्स भी कर सकते है.
विशेषज्ञता का होगा उपयोग
विशेषज्ञता विकसित होने के बाद अधिकारियों को उनकी रूचि के अनुसार नियुक्ति दी जा सकती है. इसके साथ ही आवश्यकता पड़ने पर विशेषज्ञ समितियों में भी शामिल किया जा सकता है।
- विशेषज्ञता के लिए अधिकारी व मंत्री देश भर के किसी भी संस्थान से ले सकते हैं प्रशिक्षण
- सामाजिक क्षेत्र के विभिन्न स्तंभों को अधिकारी कर सकते हैं चिन्हित
- अधिकारी अपनी रुचि के अनुसार चुन सकते हैं सामाजिक क्षेत्र