Delhi liquor policy scam : दिल्ली शराब नीति घोटाले मामले में भारत राष्ट्र समिति की नेता के.कविता को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत देने से इनकार कर दिया है.के.कविता को ईडी ने शराब नीति घोटाले केस में गिरफ्तार किया है.इसी केस में बीते दिन दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी ईडी ने अरेस्ट किया है.न्यायमूर्ति संजीव खन्ना,न्यायमूर्ति एम.एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने के.कविता को निचली अदालत में जाने को कहा.पीठ ने कहा कि,ये एक प्रकिया है जिसका कोर्ट पालन कर रही है और प्रोटोकॉल को वो नजरअंदाज नहीं कर सकती हैं।
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SC ने खारिज की के.कविता की याचिका
सुप्रीम कोर्ट ने बीआरएस नेता की जमानत की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि,उनकी नीति सभी के लिए एक समान है.किसी को इस आधार पर जमानत के लिए सीधे सुप्रीम कोर्ट में जाने की इजाजत नहीं दी जा सकती क्योंकि वो एक राजनीतिक व्यक्ति हैं।ईडी ने अपनी चार्जशीट में बताया है कि,मगुंटा श्रीनिवासुलू के बेटे राघव मगुंटा के बयान के मुताबिक उसने के कविता और अपने पिता के बीच अग्रीमेंट होने के बाद 25 करोड़ रुपये साउथ लॉबी के अभिषेक बोइनपिल्लै और बुची बाबू को कैश में दे दिए.यही वजह है कि,ईडी ने ये दावा किया है….के कविता ने अरविंद केजरीवाल के साथ मिलकर पूरी साजिश रची,इसलिए अब अरविंद की रिमांड मिलने के बाद के कविता और अरविंद केजरीवाल को आमने-सामने बैठाकर ईडी पूछताछ करेगी।
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पहले ट्रायल कर्ट का रुख करना चाहिए-SC
दिल्ली की एक अदालत ने आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में बीआरएस नेता के कविता को 23 मार्च तक के लिए ईडी की हिरासत में भेज दिया था.ईडी मामलों के विशेष न्यायधीश एम.के नागपाल ने अपना आदेश सुनाते हुए कहा था कि,बीआरएस नेता से हिरासत में पूछताछ की जरुरत महसूस की गई….क्योंकि देखा गया है कि,उनके कथित असहयोग के कारण जांच अटक गई है….पीठ ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि,जमानत के लिए सबसे पहले ट्रायल कोर्ट का रुख करना चाहिए।
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“सुप्रीमकोर्ट को राजनीतिक मंच न बनाएं”
बीआरएस नेता की ओर से कोर्ट में पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि,कई विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार किया जा रहा है इस पर उन्होंने कोर्ट से तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की और अपनी दलीलें रखी.कपिल सिब्बल को जवाब देते हुए कोर्ट ने कहा कि,आप हमसे जो करने के लिए कह रहे हैं वो संभव नहीं है…इसे राजनीतिक मंच न बनाएं,आप हमसे सीधे अनुच्छेद 32 के तहत किसी याचिका पर विचार करने के लिए इसलिए कह रहे हैं क्योंकि वो व्यक्ति सुप्रीम कोर्ट आ सकता है…ऐसा नहीं हो सकता है नियम सभी के लिए एकसमान हैं।