Bangladesh Violence:बांग्लादेश में शेख हसीना(Sheikh Hasina Resign)की सरकार के तख्तापलट के बाद, देश में एक नई राजनीतिक उथल-पुथल का दौर शुरू हो गया है। नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस की अगुवाई में एक अंतरिम सरकार का गठन किया जा रहा है। इस परिवर्तन का मतलब है कि बांग्लादेश के विदेशी कूटनीतिक संबंधों में भी महत्वपूर्ण बदलाव आ सकते हैं।शेख हसीना के इस्तीफे के बाद, बांग्लादेश (Bangladesh Violence)में सत्ता की बागडोर किसके हाथ में जाएगी, यह चिंता का विषय बन गया है।
विशेष रूप से, बांग्लादेश नेशनल पार्टी (बीएनपी) और जमात-ए-इस्लामी जैसी पार्टियों के सत्ता में आने की संभावना जताई जा रही है, जिनके चीन और पाकिस्तान की ओर झुकाव की बात की जाती है। यह स्थिति भारत के लिए चिंता का कारण बन सकती है, क्योंकि इन पार्टियों की विदेश नीति और रणनीतिक झुकाव भारत के हितों पर असर डाल सकते हैं।इस तरह की राजनीतिक अस्थिरता और कूटनीतिक बदलावों से भारत और बांग्लादेश के बीच संबंधों में भी नई चुनौतियाँ उत्पन्न हो सकती हैं।
भारत की सीमा सुरक्षा सबसे बड़ी चिंता
भारत-बांग्लादेश की 4096 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी थल सीमा है। यह सीमा भारत के पांच राज्यों—पश्चिम बंगाल, असम, त्रिपुरा, मेघालय, और मिजोरम—से लगती है। इस सीमा क्षेत्र में विविध भौगोलिक विशेषताएँ शामिल हैं, जैसे कि मैदानी क्षेत्र, जल क्षेत्र, पहाड़ी इलाके, और घने वन क्षेत्र, और यहाँ की जनसंख्या भी काफी घनी है।हाल ही में बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता के कारण संभावित रूप से एक नई चिंता उत्पन्न हो गई है।
अगर बांग्लादेश में स्थिति और अधिक बिगड़ती है, तो इससे बड़ी संख्या में लोग भारत की ओर पलायन कर सकते हैं। इससे न केवल सीमा प्रबंधन की चुनौतियाँ बढ़ेंगी, बल्कि यह भारत की सुरक्षा स्थिति के लिए भी खतरा बन सकता है।सुरक्षा एजेंसियों और अधिकारियों को इस संभावित पलायन की स्थिति को ध्यान में रखते हुए आवश्यक कदम उठाने की जरूरत है, ताकि देश की सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित की जा सके।
अधर में लटक सकती है तीस्ता नदी कंजर्वेशन प्रोजेक्ट
भारत और बांग्लादेश के बीच तीस्ता सिंचाई परियोजना को लेकर पिछले कुछ वर्षों से निरंतर बातचीत चल रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना (Sheikh Hasina Resign)के बीच तीस्ता नदी के संरक्षण और विकास पर कई महत्वपूर्ण चर्चा हो चुकी हैं। यह परियोजना दोनों देशों के लिए जल संसाधनों के प्रबंधन और सिंचाई में सुधार के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।हालांकि, इस परियोजना पर चीन की भी नज़र है, जो क्षेत्रीय जल संसाधनों और बुनियादी ढांचे में अपनी उपस्थिति बढ़ाने के प्रयास में है।
अगर बांग्लादेश सरकार की नीतियों में बदलाव आता है, तो इसका प्रतिकूल प्रभाव इस महत्वपूर्ण परियोजना पर पड़ सकता है। इससे न केवल परियोजना की प्रगति में अड़चन आ सकती है, बल्कि यह क्षेत्रीय सहयोग और जल प्रबंधन की योजनाओं को भी प्रभावित कर सकता है।इसलिए, नई बांग्लादेश सरकार के गठन और संभावित नीतिगत परिवर्तनों के मद्देनजर, तीस्ता परियोजना पर निगरानी और बातचीत का महत्व बढ़ गया है। इससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि दोनों देशों के बीच चल रहे जल प्रबंधन और संरक्षण प्रयासों को बाधित किए बिना आगे बढ़ाया जा सके।
ट्रेड पर भी पड़ सकता है बुरा असर
भारत और बांग्लादेश एक बड़े ट्रेडिंग पार्टनर रहे हैं। ibef.org पर मौजूद आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2023-24 में दोनों देशों के बीच कुल ट्रेड 14.22 अरब डॉलर का रहा था। वित्त वर्ष 2023 में भारत से बांग्लादेश के लिए 6,052 वस्तुओं का निर्यात किया गया था। निर्यात का ये आंकड़ा 12.20 अरब डॉलर रहा था, जो कि वित्त वर्ष 2022 में हुए 16.15 अरब डॉलर की तुलना में कम था।
भारत से बांग्लादेश भेजी जाने वाली चीजों की लिस्ट
- कपास धागा
- पेट्रोलियम उत्पाद
- अनाज
- सूती कपड़े
बांग्लादेश से भारत भेजी जाने वाली चीजों की लिस्ट
- आरएमजी कपास
- सूती कपड़े
- आरएमजी मानव निर्मित फाइबर
- मसाले
- बांग्लादेश में नई सरकार के आने से दोनों देशों के बीच होने वाले व्यापार पर भी असर पड़ने की आशंका है।
इन 10 समझौतों पर लगी थी मुहर
- दोनों देश तीस्ता नदी के जल-बंटवारे पर चर्चा के लिए तकनीकी टीम भेजने पर हुए सहमत
- डिजिटल डोमेन में संबंध मजबूत करने को लेकर समझौता
- ‘हरित साझेदारी’ को लेकर अहम समझौता
- दोनों देशों के बीच रेलवे संपर्क बढ़ाने के समझौता
- भारत का बांग्लादेश के नागरिकों को मेडिकल ई-वीजा की सुविधा ऐलान
- समुद्री रिसर्च, मेरीटाइम सहयोग पर समझौता
- अंतरिक्ष के क्षेत्र में सहयोग को लेकर समझौता
- सुरक्षा और रणनीतिक मामलों में आपसी सहयोग को लेकर समझौता
- स्वास्थ्य और आपदा प्रबंधन-मत्स्य पालन संबंधी समझौता