New Delhi: दिल्ली उच्च न्यायालय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर की गई ‘‘शिवलिंग पर बिच्छू’’ टिप्पणी के मामले में कांग्रेस सांसद शशि थरूर (Shashi Tharoor) के खिलाफ मानहानि की कार्यवाही को निरस्त करने की याचिका खारिज कर दी है। न्यायमूर्ति अनूप कुमार मेंदीरत्ता की बेंच ने इस मामले में थरूर की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि मानहानि की कार्यवाही जारी रहेगी। इसके साथ ही कोर्ट ने पहले लगाई गई रोक को भी हटा दिया है।
क्या है पूरा मामला?
कांग्रेस नेता शशि थरूर ने साल 2018 में अपनी टिप्पणी में प्रधानमंत्री मोदी की तुलना ‘शिवलिंग पर बैठे बिच्छू’ से की है, जो कि न तो हाथ से हटा सकते हैं और न ही चप्पल से मार सकते हैं। उनके अनुसार, अगर आप बिच्छू को छूने की कोशिश करेंगे, तो आपको डंक लगेगा, लेकिन चप्पल से शिवलिंग को मारने से आस्था के पवित्र सिद्धांत कमजोर हो जाएंगे। इस विवादित बयान के कारण बब्बर ने अदालत का दरवाजा खटखटाया, claiming कि थरूर की टिप्पणी से उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची है। इसी शिकायत को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट ने बृहस्पतिवार को अपना फैसला सुनाया।
कोर्ट ने पहले की रोक को हटाया
दिल्ली उच्च न्यायालय ने पहले 16 अक्टूबर, 2020 को मानहानि शिकायत में थरूर के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगाई थी। अब, कोर्ट ने इस अंतरिम आदेश को रद्द कर दिया और थरूर को 10 सितंबर को निचली अदालत के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति मेंदीरत्ता ने कहा कि याचिका के आधार पर कार्यवाही को निरस्त करने का कोई कारण नहीं बनता।
राजीव बब्बर का बयान
राजीव बब्बर ने थरूर के बयान को ‘भगवान शिव के भक्तों की भावनाओं का अनादर’ बताया। उनकी मानहानि शिकायत भारतीय दंड संहिता की धारा 499 और 500 के तहत दर्ज की गई थी। बब्बर ने आरोप लगाया कि थरूर की टिप्पणी ने न केवल भारत बल्कि विदेशों में भी भगवान शिव के भक्तों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है।