Sharda Sinha: बिहार की प्रसिद्ध लोकगायिका और “बिहार कोकिला” के नाम से मशहूर शारदा सिन्हा (Sharda Sinha) का 5 नवंबर को दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हो गया. वह 72 वर्ष की थी और पिछले छह वर्षों से ब्लड कैंसर से जूझ रही थी. उनकी तबीयत खराब होने के बाद 26 अक्टूबर को उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां वे वेंटिलेटर सपोर्ट पर थी. शारदा सिन्हा को उनकी मधुर आवाज़ और खासतौर पर छठ और शादी जैसे पारंपरिक उत्सवों के गीतों के लिए जाना जाता था.
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छठ और पारंपरिक गीतों की धरोहर
बताते चले कि, शारदा सिन्हा (Sharda Sinha) के गीतों ने छठ पर्व के माहौल को अनोखी रंगत दी. उनका गाया हुआ ‘केलवा के पात पर उगलन सूरजमल झुके झुके’ और ‘सुनअ छठी माई’ जैसे गीत हर छठ पर्व पर अनिवार्य रूप से बजाए जाते हैं. शारदा सिन्हा ने भोजपुरी, मैथिली और मगही भाषाओं में अपनी आवाज दी, जिससे वह बिहार और आसपास के क्षेत्रों में लोकप्रिय हुईं.
बॉलीवुड में भी बिखेरा जादू
लोकगायिकी के अलावा शारदा सिन्हा (Sharda Sinha) ने बॉलीवुड में भी अपनी खास पहचान बनाई. उन्होंने सलमान खान की फिल्म “हम आपके हैं कौन” का मशहूर विदाई गीत ‘बाबुल’ गाया, जो आज भी विदाई के समय बजाया जाता है, इसके अलावा, उन्होंने फिल्म “मैने प्यार किया” का गाना ‘कहे तोसे सजना’ भी गाया, जिसके लिए उन्हें मात्र 76 रुपये मिले थे. उनके गाए गीतों में “गैंग्स ऑफ वासेपुर” का ‘तार बिजली से पतले हमारे पिया’ और वेब सीरीज “महारानी” का ‘निर्मोहिया’ भी शामिल है.
शारदा सिन्हा के जीवन का सफर
शारदा सिन्हा (Sharda Sinha) का जन्म 1 अक्टूबर 1952 को बिहार के सुपौल जिले के हुलास गांव में हुआ था. आठ भाई-बहनों में वह इकलौती बहन थीं और बचपन से ही उन्हें संगीत में गहरी रुचि थी. म्यूजिक में पीएचडी करने के बाद उन्होंने समस्तीपुर के कॉलेज में प्रोफेसर के तौर पर कार्य किया. उनके पति बृजकिशोर सिन्हा, जो शिक्षा विभाग में क्षेत्रीय डिप्टी डायरेक्टर के पद से रिटायर हुए थे, ने उनके संगीत करियर में हमेशा उनका समर्थन किया। हालांकि, उनकी सास को उनका बाहर गाना पसंद नहीं था, लेकिन उनके ससुर ने भी उनका साथ दिया.
नौ एलबम और 62 छठ गीतों की विरासत
शारदा सिन्हा (Sharda Sinha) ने अपने संगीत करियर में टी-सीरीज, एचएमवी और टिप्स जैसी कंपनियों के साथ मिलकर नौ एलबमों में 62 छठ गीत रिकॉर्ड किए. इन गीतों ने उन्हें बिहार और देशभर में लोकप्रियता दिलाई। उनके गीत छठ पर्व की ध्वनि बन गए हैं, और उनकी मधुर आवाज़ के बिना यह त्योहार अधूरा सा लगता है.
संगीत में योगदान के लिए मिले कई सम्मान
शारदा सिन्हा (Sharda Sinha)को भारतीय लोक संगीत में उनके योगदान के लिए कई सम्मान प्राप्त हुए. उन्हें 1991 में पद्मश्री और 2018 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। उनके निधन से बिहार और संगीत की दुनिया में शोक की लहर है. उनके गीत और मधुर आवाज़ हमेशा लोगों के दिलों में जिंदा रहेंगे.