Loksabha Election 2024: लोकसभा चुनाव 2024 में लोकतंत्र की नई तस्वीर देखने को मिल रही है. तीसरे चरण के होने वाले मतदान के लिए छत्तीसगढ़ की हाई प्रोफाइल लोकसभा सीट इस समय चर्चा में है. कोरबा लोकसभा क्षेत्र से जहां भाजपा ने अपनी फायर ब्रांड नेत्री सरोज पांडे को प्रत्याशी बनाया है. कांग्रेस ने पूर्व विधानसभा अध्यक्ष व नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर चरणदास महंत की पत्नी वर्तमान सांसद ज्योत्सना महंत को चुनाव मैदान में उतारा है. इन दो प्रत्याशियों के अलावा कुल 27 प्रत्याशी चुनाव के मैदान में है. दिलचस्प बात यह है कि इस चुनाव में मरवाही विधानसभा के दूरस्थ गांव से विशेष पिछड़ी जनजाति की शांति बाई बैगा भी इस चुनाव मैदान में जीरो संसाधन के साथ चुनावी मैदान में उतरी हुई है।
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विकास के नाम पर शासन ने नहीं किया कोई काम!
आजादी के 75 साल बीत गए हैं. इन 75 सालों में सरकारें आई और गई सरकार लोकतंत्र की दुहाई और विकास को समाज में अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने का दावा वादा करके सरकारें सत्ता पर आती है. उन दावा का पोल खोलता हुआ एक ऐसा वर्ग सामने आया है जिसे राष्ट्रपति का दत्तक पुत्र भी कहा जाता है जी हां हम बात कर रहे हैं विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा की. विकास के नाम पर शासन प्रशासन ने इनके विकास के लिए ना जाने कितनी ही योजना बनाई परंतु उनकी स्थिति आज भी जस की तस है.
शांति बाई बैगा का परिवार चुनाव प्रक्रिया से अनजान
समाज को मुख्य धारा से मिलाने के लिए शांति बाई बैगा ने इस बार सासंद में जाने का निर्णय लिया है. निर्णय चुनौती भरा जरूर है परंतु शांति बाई के हौसले बुलंद है. मरवाही विधानसभा के अंतिम गांव साल्हेघोरी के बेंदरापानी गांव में रहने वाले शांति बाई बैगा जंगली वनोंपज जीवन यापन करने वाला परिवार है. हालांकि, परिवार चुनाव प्रक्रिया से अनजान है. परिवार के सदस्यों को पता तो है कि वो चुनाव लड़ रही है. पर कौन सा चुनाव ये नही पता. पर गांव के विकास को लेकर चुनाव लड़ा जा रहा है.
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शांति बाई चुनाव के लिए वोट मांग रही
हालाकि, शांति बाई की सासू मां को मालुम है कि बहू उनकी चुनावी मैदान में उतरीं है, वो चुनाव प्रचार में गांव गांव घूम रही है.जिस समय हम शांति बाई बैगा के घर पहुंचे तो वह चुनाव प्रचार अभियान में थी. हमने घर से किसी तरह उसका पता लेकर पूछे कि वह किस तरफ गई है तो घर वाले ने बताया कि बैगा बाहुल्य इलाके में ही वह चुनाव प्रचार अभियान में जुटी हुई है. सूचना जानकर हम शांति बाई के घर से लगभग 30 किलोमीटर दूर दूसरे गांव में पहुचे तो शांति बाई बैगा वहां अपने कुछ साथियों के साथ चुनाव के लिए वोट मांग रही थी.
बताई चुनावी मैदान में उतरने की वजह
इस पूरे अभियान पर उनसे हमने खास बातचीत कि,जिसमें उन्होंने बताया कि बैगा जनजाति के लिए अब तक कुछ भी नहीं हुआ स्थिति जस की तस है. इसलिए राष्ट्रीय पार्टी से भरोसा उठ गया है और मुझे खुद चुनाव मैदान में उतरना पड़ा. हालांकि, चुनाव के लिए उनके पास संसाधनों की काफी कमी है. पर लोगो का सहयोग मिल रहा है। शांति बाई से हमने जब पूछा तो समय काफी कम है लोकसभा क्षेत्र बड़ा है तो उन्होंने बड़े ही सरलता से कहा रात दिन एक कर देंगे और ज्यादा से ज्यादा लोगो से मिलेंगे.चुनाव में जीत हार अपनी जगह पर एक बैगा महिला आज अपने समाज को मुख्यधारा में जोड़ने और बैगा समाज के लोगो के उथान को लेकर चुनावी मैदान में उतरना सराहनीय है।
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