Shaheed Diwas 2025:23 मार्च, 1931 का दिन भारतीय इतिहास में एक बेहद महत्वपूर्ण और शोकपूर्ण दिन है। इस दिन को शहीद दिवस(Shaheed Diwas History) के रूप में मनाया जाता है, क्योंकि इसी दिन हमारे तीन वीर शहीदों—भगत सिंह,(Bhagat Singh) राजगुरु और सुखदेव—ने अपनी जान की आहुति दी थी। इन तीनों महान क्रांतिकारियों को अंग्रेजों द्वारा फांसी की सजा दी गई थी, जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर भारत को स्वतंत्रता दिलाने का सपना देखा था। शहीद दिवस पर हम उनके बलिदान को याद करते हैं और उनके प्रेरणादायक जीवन से सीख लेते हैं।
23 मार्च को क्यों मनाया जाता है शहीद दिवस?
शहीद दिवस 23 मार्च को मनाया जाता है, क्योंकि 1931 में इस दिन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के तीन प्रमुख क्रांतिकारी—भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को अंग्रेजी हुकूमत ने फांसी दी थी। इन तीनों महान हस्तियों का योगदान स्वतंत्रता संग्राम में बहुत महत्वपूर्ण था। उनका संघर्ष, उनका समर्पण और उनका साहस आज भी भारतीय युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। इनकी वीरता को न केवल स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण माना जाता है, बल्कि इनकी शहादत ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की गति को और तेज कर दिया था।
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भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव का योगदान

भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सबसे अहम क्रांतिकारियों में से थे। इन तीनों ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष किया और उनका उद्देश्य केवल भारत को स्वतंत्रता दिलाना था। भगत सिंह ने अपने जीवन को एक मिशन में बदल दिया और कम उम्र में ही उन्होंने कई ऐसे कदम उठाए, जो ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ एक शक्तिशाली चुनौती बने।भगत सिंह ने 1928 में लाहौर में सॉन्डर्स की हत्या की योजना बनाई थी, जो एक ब्रिटिश अधिकारी था। इसके बाद उन्होंने और उनके साथी साथी राजगुरु और सुखदेव ने ब्रिटिश साम्राज्य को चुनौती देने के लिए कई महत्वपूर्ण घटनाओं को अंजाम दिया। भगत सिंह का यह मानना था कि स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए हिंसा के रास्ते को अपनाना जरूरी था, और यही कारण था कि उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और फिर अंग्रेजों ने उन्हें फांसी की सजा दी।
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भगत सिंह की संघर्ष
भगत सिंह का जीवन केवल शारीरिक संघर्ष तक सीमित नहीं था। वह एक विचारक भी थे, जिन्होंने अपने विचारों से भारतीय समाज को जागरूक करने का काम किया। उन्होंने अपने लेखन और आंदोलनों के माध्यम से यह संदेश दिया कि स्वतंत्रता केवल राजनीतिक स्वतंत्रता नहीं होती, बल्कि मानसिक और सांस्कृतिक स्वतंत्रता भी महत्वपूर्ण है। उनका प्रसिद्ध नारा “इंकलाब जिंदाबाद” आज भी भारतीय युवाओं के दिलों में गूंजता है।
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शहीद दिवस की महत्ता
शहीद दिवस का आयोजन केवल एक कृतज्ञता का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह हमें यह याद दिलाता है कि हमें अपनी स्वतंत्रता की कीमत कभी नहीं भूलनी चाहिए। इन तीनों शहीदों ने अपनी जान की आहुति देकर हमें वह आज़ादी दी, जो हम आज भोग रहे हैं। शहीद दिवस पर हम उनके जीवन के आदर्शों को अपनाने का संकल्प लेते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि हम उनके संघर्ष और बलिदान को हमेशा याद रखेंगे।23 मार्च को शहीद दिवस के रूप में मनाना इस बात का प्रतीक है कि हम कभी भी उन वीरों के बलिदान को भुला नहीं सकते, जिन्होंने अपने देश की स्वतंत्रता के लिए अपनी जान दी।