लखनऊ संवाददाता- मोहम्मद कलीम
लखनऊ। केजीएमयू में गंभीर मरीज को वेंटिलेटर मिलना दूभर है। ट्रॉमा सेंटर में गंभीर रूप से घायल मरीज को वेंटिलेटर नहीं मिला। हालांकि जान बचाने के लिए डॉक्टरों ने एम्बुबैग के सहारे सांसें देने का प्रयास किया। दुखी परिवारीजन मरीज को घर लेकर जा रहे थे पर रास्ते में उसकी मौत हो गई।
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मरीज निजी अस्पताल में भर्ती
उधर, उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक के कार्यालय से आदेश के बावजूद भी बेड खाली न होने का हवाला देते हुए ट्रॉमा सेंटर के डॉक्टर ने मरीज को निजी अस्पताल में भर्ती कराने की सलाह दे डाली। मजबूरन परिजनों ने मरीज को निजी अस्पताल में भर्ती कराया है।
सड़क हादसे में घायल हो गए
गोंडा के तरबगंज निवासी अब्दुल हलीम (30) सोमवार को सड़क हादसे में घायल हो गए थे। परिवारीजन उन्हें निजी अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने हालत गंभीर बताते हुए ट्रॉमा सेंटर रेफर कर दिया। परिवारीजन गुरुवार सुबह करीब दस बजे मरीज को लेकर ट्रॉमा सेंटर पहुंचे। यहां भी डॉक्टरों ने हालत गंभीर बताते हुए वेंटिलेटर की जरूरत बताई। वेंटिलेटर खाली नहीं थे। डॉक्टरों ने मरीज की जान बचाने के लिए एम्बुबैग लगा दिया।
करीब चार घंटे बाद भी वेंटिलेटर का इंतजाम नहीं हो पाया तो दुखी परिवारीजनों ने मरीज को घर ले जाने का फैसला किया। फूफा रफीक का कहना है कि वेंटिलेटर न मिलने से अब्दुल हलीम की हालत नाजुक हो गई थी। घर लाते वक्त रास्ते में मौत हो गई।
केजीएमयू: सीटी स्कैन नहीं हो पाया
परिवारीजनों का आरोप है कि ट्रॉमा सेंटर में काफी देर तक मरीज का सीटी स्कैन नहीं हो पाया था। समय पर जांच न होने से मरीज का इलाज प्रभावित था। इससे मरीज की हालत और गंभीर हुई। उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक के कार्यालय से आदेश के बावजूद भी बेड नहीं खाली होने का हवाला देते हुए ट्रॉमा सेंटर के डॉक्टर ने मरीज को निजी अस्पताल में भर्ती कराने की सलाह दी। दुखी परिजन मरीज को एक निजी अस्पताल में लेकर चले गये।
निजी अस्पताल में भर्ती कराया
अयोध्या निवासी अशोक कुमार(39) को पेशाब में खून आ रहा था। परिजनों मुताबिक अचानक उसे पेट दर्द होने पर आनन-फानन में जिले के निजी अस्पताल में भर्ती कराया। जहां चार दिन भर्ती रखने के बाद भी स्वास्थ्य में कोई बदलाव नहीं होने पर डाक्टरों ने उन्हें केजीएमयू ले जाने की सलाह दी।
परिजनों के मुताबिक, बुधवार को उपमुख्यमंत्री एवं स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक की सिफारिश पर देर रात ट्रॉमा सेन्टर लेकर पहुंचे। डिप्टी सीएम के पीआरओ के निर्देश के बावजूद कोई सुनवाई नही हुई। यहां काफी देर बाद भी इलाज नहीं मिलने से मरीज की समस्या बढऩे के साथ-साथ दर्द और सांस लेने में दिक्कत होने लगी।
केजीएमयू: स्ट्रेचर पर दर्द से तड़पता रहा
आरोप है कि मरीज कई घटों तक स्ट्रेचर पर दर्द से तड़पता रहा। परिजन मरीज को भर्ती कराने के लिए डाक्टरों के सामने गिड़गिड़ाते रहें, लेकिन उनका दिल नहीं पसीजा। मौके पर मौजूद एक डाक्टर ने बेड खाली न होने का हवाला देते हुए मरीज को किसी अन्य अस्पताल में ले जाने की सलाह दे डाली। दुखी परिजन मरीज को एक निजी अस्पताल में ले कर चले गये। केजीएमयू प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह के मुताबिक मुझे इसकी कोई जानकारी नही है। दबाव अधिक होने की वजह से मरीज को भर्ती कराने में थोड़ा समय लगता है।