इस समय सुर्खियों में बने वाराणसी के बाबा काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मामले फ़िलहाल विवाद मे है, और यह मामला कोर्ट में लंबित है। फिलहाल हमें 1868 में ज्ञानवापी परिसर में ब्रिटिश फोटोग्राफर सैमुअल बॉर्न द्वारा खींची गई 154 साल पुरानी एक दुर्लभ तस्वीर मिली है।
Gyanvapi Masjid Case: अगस्त 2021 में पांच महिलाओं ने वाराणसी के सिविल जज (सीनियर डिविजन) के सामने एक वाद दायर किया था। इसमें उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद के बगल में बने श्रृंगार गौरी मंदिर में रोजाना पूजा और दर्शन करने की अनुमति देने की मांग की थी। महिलाओं की याचिका पर जज रवि कुमार दिवाकर ने मस्जिद परिसर का एडवोकेट सर्वे कराने का आदेश दिया था. कोर्ट के आदेश पर पिछले साल तीन दिन तक सर्वे हुआ था. सर्वे के बाद हिंदू पक्ष ने यहां शिवलिंग मिलने का दावा किया था।
ज्ञानवापी परिसर की 154 साल पुरानी दुर्लभ तस्वीर…
चल रहे मामले के बीच इस संबंध में एक नया घटनाक्रम सामने आया है। एक पड़ताल में एक दुर्लभ तस्वीर सामने आई है, जिसे ज्ञानवापी मस्जिद के नीचे बने तहखाने की दीवार का हिस्सा बताया जा रहा है।
ज्ञानवापी परिसर में नंदी और भगवान हनुमान की मूर्तियां…
तस्वीर से साफ पता चलता है कि उस दौर में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर कैसा दिखता था। इस तस्वीर में नंदी और भगवान हनुमान की मूर्तियों के साथ ज्ञानवापी परिसर में मौजूद खंभों पर हिंदू कलाकृतियां और घंटियां दिखाई दे रही हैं।
मुस्लिम पक्ष के वकील ने क्या कुछ कहा?
मुस्लिम पक्ष के वकील मोहम्मद तौहीद खान ने कहा, ”माननीय जिला जज महोदय ने पढ़कर सुनाया कि जो एएसआई सर्वे का एप्लीकेशन था, उसको मंजूर कर लिया है. वो हिस्सा जो सुप्रीम कोर्ट से (वजुखाना) सील्ड है, उसको छोड़कर और 4 अगस्त तक रिपोर्ट देने के लिए कहा है. अब नकल लेने के बाद, ऑर्डर का अवलोकन करने के बाद आगे की रणनीति तय की जाएगी.
याचिकाकर्ताओं ने लगाये ‘हर हर महादेव के नारे’
उधर इस फैसले के बाद याचिकाकर्ता महिलाओं ने सर्वे की अनुमति का फैसला आने के बाद हर हर महादेव के नारे लगाये। महिलाओं ने कहा कि सर्वे कराने का फैसला मिलना हमारे में बहुत महत्वपूर्ण है।
कितने दिन में पूरा होगा सर्वे?
वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा, ”मैं आपको ये आकलन देना चाहता हूं कि राम मंदिर के टाइम पर जब 2002 में एएसआई का फैसला हुआ था तो एएसआई की रिपोर्ट 2005 में आई थी। तीन साल लग गए थे लेकिन वहां पर क्षेत्र भी काफी बड़ा था. ये सिर्फ मेरा अनुमान है कि तीन से छह महीने के अंदर ये सर्वे की एक्सरसाइज कंपलीट होगी।” उन्होंने कहा, ”पूरे परिसर की मांग करने का उद्देश्य यह है कि जगह को औरंगजेब ने नहीं बनवाया, ये पहले से एक प्री एग्जिस्टिंग हिंदू मंदिर का स्ट्रक्चर था, जिसको एक मस्जिद का रूप देने की कोशिश की गई।”
Read more: अनन्या-आदित्य की डेटिंग की खबरों के बीच मिस्ट्री गर्ल के साथ स्पॉट हुए ईशान खट्टर…
ज्ञानवापी मस्जिद में हिंदू प्रतीक और देवी-देवताओं की मूर्तियां…
इस नए विकास से यह स्पष्ट हो गया है कि भगवान शिव के 11वें रुद्रावतार भगवान हनुमान भी ज्ञानवापी परिसर में विराजमान हैं। इसलिए, यह तस्वीर हिंदू पक्ष के दावों की पुष्टि करती है कि ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में हिंदू प्रतीक और देवी-देवताओं की मूर्तियां मौजूद हैं, ज़ी न्यूज़ की रिपोर्ट का दावा है। हालाँकि, डीएनए इंग्लिश में हम रिपोर्ट में छपी तस्वीर की प्रामाणिकता की गारंटी नहीं दे सकते।
औरंगजेब से कैसे जुड़ा ज्ञानवापी का इतिहास?
ये मंदिर और मस्जिद किसने बनवाया, इसे लेकर कोई एक राय नहीं है. याचिकार्ताओं का कहना है कि इस मंदिर को 2050 साल पहले राजा विक्रमादित्य ने फिर से बनवाया था। अकबर के शासन काल में इसका फिर से निर्माण करवाया गया। 1669 में औरंगजेब ने इसे तुड़वा दिया और इसकी जगह ज्ञानवापी मस्जिद बनाई। अभी वहां पर जो काशी विश्वनाथ मंदिर है, उसे इंदौर की रानी अहिल्याबाई होल्कर ने बनवाया था. काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद आपस में सटे हुए हैं, लेकिन उनके आने-जाने के रास्ते अलग-अलग दिशाओं में हैं।